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खाप पंचायतों का खौफ

👤 | Updated on:7 Jun 2010 3:42 PM GMT
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हरियाणा में एक खाप पंचायत के खिलाफ एक अदालत द्वारा पारित आदेश के बाद ऐसा लगने लगा था कि शायद पंचायतों की धींगामुस्ती अब रुक जाएगी। लेकिन ऐसा होता लगता नहीं है। अदालत के फैसले के खिलाफ खाप पंचायतें एक बार फिर लामबंद हुई हैं और उन्होंने अपना कसूर मानने की बजाय सरकार को ही निर्देश देने की कोशिश की है कि हिन्दू विवाह अधिनियम में ही संशोधन किया जाए। सरकार ने खाप पंचायतों को अपनी सीमा में रहने की कई बार सलाह भी दी है लेकिन ये खाप पंचायतें कानून को ठेंगे पर रखती है। नवविवाहित जोड़ों को गौत्र के आधार पर जाति के आधार पर या किसी न किसी बहाने से प्रताड़ित किया जाता है। उन्हें जान से मारने के आदेश पारित किए जाते हैं या फिर गांव से बाहर निकाले जाने के। यहां तक विवाहित जोड़ों को भाई-बहन का रिश्ता बनाने के लिए भी बाध्य किए जाने का उदाहरण सामने आया है। यह अलग बात है कि उन विवाहित जोड़ों ने पंचायतों के उन फरमानों को मानने से ही इंकार कर दिया। अब भी अनेक ऐसे मामले सामने आए हैं जहां नवदम्पत्ति पंचायतों के डर से मारे-मारे फिर रहे हैं। सरकारों तथा अदालतों को इन मामलों में थोड़ा और सख्त होना ही होगा। -अजय कुमार गुप्ता, शाहदरा, दिल्ली।

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