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उद्योगों द्वारा भू-जल दोहन के लिए खनित नलकूपों की जांच

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:1 May 2019 3:15 PM GMT
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दुर्ग, (ब्यूरो छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ शासन के निर्देश पर जिला कलेक्टर को पर्यावरण प्रोटेक्शन एक्ट 1986 की धारा (4) के अंतर्गत केन्द्रीय ग्राउंड वाटर एथारिटी के निर्देशों को लागू करने हेतु प्राधिकृत अधिकारी नियुक्प किया गया है। जिला दण्डाधिकारी को अपने कार्यक्षेत्र में, कार्यक्षेत्र के अंतर्गत समस्त कार्यरत नलकूप की भू-जल उत्खनन हेतु अनापत्ति प्रमाण पत्रों की जांच हेतु अधिकृत किया गया है। जिसके अंतर्गत जिला स्तरीय अधिकारियों की समिति का गठन किया गया है। इस तारतम्य में आज समिति द्वारा मेसर्स शीतल रिपाइनरिस प्राईवेट लिमिटेड, ग्राम अरसनारा, धमधा जिला दुर्ग का निरीक्षण किया गया। जिसमें कि कार्यपालन अभियंता, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी समीर शर्मा, महाप्रबंधक जिला उद्योग केन्द्र अमित श्रीवास्तव, छत्तीसगढ़ पर्यावरण सुरक्षा मंडल से नंदकुमार पटेल, छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल कार्यपालन अभियंता एडी टंडन एवं जल संसाधन विभाग से सहायक अभियंता शशांक तिवारी सम्मिलित थे। निरीक्षण के दौरान उद्योग की ओर से अमित अग्रवाल, नितिन अग्रवाल द्वारा बताया गया कि इस उद्योग में एक 6 इंच का बोर है जिसमें निरीक्षण के दौरान पाया गया कि 2.5 इंच का डिलीवरी पाईप लगा है। बोर की अनुमति सेन्ट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड से प्राप्त नहीं की गई है तथा जल के उपयोग हेतु राज्य शासन जल संसाधन विभाग से अनुबंध अनुमति प्राप्त नहीं किया गया है। वाटर रिचार्ज की व्यवस्था नहीं पायी गई। उपयोग किये जा रहे जल के माप हेतु किसी प्रकार का उपकरण नहीं लगाया जाना पाया गया। समिति द्वारा निर्देशित किया गया है कि समस्त अनियमिताओं को तत्काल नियमानुसार अनुमति/अनुबंध की कार्यवाही पूर्ण करें, अन्यथा जिला प्रशासन द्वारा नियमानुसार कठोर दण्डात्मक कार्यवाही शासन द्वारा की जाएगी। इस तारतम्य में प्रथम चरण में धमधा के निकट, धमधा रोड पर स्थित 19 उद्योगों सहित जिले की समस्त 32 औद्योगिक इकाईयों का निरीक्षण एवं कार्यवाही किया जाना प्रस्तावित है।

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