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धान खरीदी केंद्रों में उत्सव सा माहौल, किसान बोले अब सुधरेंगे खेती के हालात

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:24 Dec 2018 3:23 PM GMT
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राजनांदगांव, (ब्यूरो छत्तीसगढ़)। बसंत का मौसम अभी आने को है लेकिन किसानों के चेहरे पर बसंत अभी से खिल गया है। 2500 रुपए पति क्किंटल में धान खरीदी और कर्ज मापी ने किसानों को निश्चिंत कर दिया है और ग्रामीण क्षेत्रों में उत्सव का माहौल है। ग्राम ढाबा में अपना धान बेचने आए ग्राम चिखली के किसान मेघराज साहू बताते हैं कि इस बार अच्छी पसल हुई लेकिन मन में धुकधुकी थी, धान बेचने जाऊंगा और पूरा कर्ज उतारना पड़ेगा। मेरे हाथ कुछ नहीं आएगा। शासन के कर्ज मापी के निर्णय ने मेरी चिंता दूर कर दी और 2500 रुपए धान खरीदी से अब मेरे लिए खेती-किसानी को बेहतर करने कुछ मौका होगा। यहीं धान बेचने आए मोहड़ के किसान ने बताया कि धान उगाने की कमरतोड़ मेहनत के बाद कुछ नहीं बचता था। हर बार कर्ज का नया भार लद जाता था।

सब कुछ तो मंहगा हो गया है खाद-बीज, मजदूरी। मजदूरी की दर सरपट बढ़ती है और समर्थन मूल्य धीरे-धीरे खिसकता है। कभी खाद 800 रुपए था अब 1400 रुपए हो गया है। किसान कितनी भी कमरतोड़ मेहनत कर ले, इस अंतर को कैसे पाटेगा। कर्ज मापी और 2500 रुपए में धान खरीदी के शासन के निर्णय से खेती-किसानी में तरक्की होगी। गठुला धान खरीदी केंद में आए किसान तीरथ देवांगन ने कहा कि किसानी की स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि थोड़ी-थोड़ी राहत से किसान की स्थिति में कुछ सुधार नहीं आना था। कर्जमापी और 2500 रुपए समर्थन मूल्य ने बड़ी राहत दी है जो बीमार कृषि को पूरी तरह ठीक कर देगी। मैं अपने खेतों में बोर कराना चाहता हूँ लेकिन इसके लिए पैसे नहीं थे। इस बार कर्ज मापी नहीं होती तो बहुत दिक्कत हो जाती। साहूकार से पैसे लेता और खूब सारा ब्याज देता। मेरी खेती तबाह हो जाती। छोटे किसानों के साथ बड़े किसान भी समर्थन मूल्य बढनक्वे से खुश हैं। गठुला धान खरीदी केंद में आए किसान मनीष ने बताया कि मजदूरी बहुत मंहगी हो गई है। 300 रुपए मजदूरी के देते हैं। खरीदी के बाद बहुत कम बचता है। बड़े किसानों की इसलिए खेती में रुचि घट रही है और खेत बेचकर शहरों में व्यवसाय करने लगे हैं। खेती में लाभ होगा तो उनका शहर में पलायन रूकेगा। किसान नये पयोग भी कर सकेंगे, अभी तो किसानी की लागत ही नहीं निकलती थी तो नये पयोग किसान कहां से करता। पदुमतरा केंद में हमालों ने बताया कि इस बार जैसी खुशी किसानों के चेहरे में कभी नहीं देखी, एक तो उनका भरपूर उत्पादन हुआ। धान का अच्छा दाम मिल गया और कर्ज भी माप हो गया।

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