तीर कमान जब्ती के आदेश पर बिफरा आदिवासी समाज
महासमुंद, (ब्यूरो छत्तीसगढ़) । छग शासन द्वारा छग के जंगलों में निवासरत आदिवासियों के परंपरागत तीर धनुष को जब्त करने के आदेश पर सर्व आदिवासी समाज ने नाराजगी जताई है। पिथौरा में शुक्रवार को सर्व आदिवासी समाज के बैनर तले शहर में आदिवासियों ने रैली निकाली। छग शासन तीर धनुष को हथियार के रूप में देखता है, जबकि तीर धनुष आदिवासियों के श्रृंगार एवं संस्कृति से जुड़ा हुआ है। रैली में भारी संख्या में आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए। एसडीएम कार्यालय में राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में साप-साप लिखा है कि सबको अपनी पहचान के साथ जीने का अधिकार है तो आदिवासियों की पहचान तीर-धनुष को हथियार का रूप देकर हमारी इतिहास और हमारी पहचान को कुचलने की कोशिश की जा रही है। यदि शासन ने अपने आदेश को शीघ्र ही वापस नहीं लिया तो पूरे छग में उग्र आंदोलन किया जाएगा। सर्व आदिवासी समाज के लोग राजमहल में जमा हुए, जहां उन्होंने विरोध में नारेबाजी की। इसके साथ ही शहर में रैली निकालने के बाद सभी वापस राजमहल पहुंचे। रैली के दौरान आदिवासी समुदाय के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए। चरोदा सरपंच माधव तिवारी ने कहा कि जंगल में रहने वाले सभी समाज के लोग आत्मरक्षा के लिए तीर धनुष रखते हैं, राजमहंत पीएल कोसरिया ने कहा कि तीर-धनुष आदिवासी समाज का हथियार नहीं बल्कि उस समाज का धार्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक पहचान हैं।
जिस तरह किसी देश की पहचान उसके झंडे से होती है, किसी राज्य की पहचान उसके राजकीय चिन्ह से होती है। ठीक उसी तरह आदिवासियों की पहचान उसके तीर-धनुष से होती हैं। एसटीएससी संयुक्प मोर्चा के संयोजक रामेश्वर सोनवानी ने कहा कि किसी एक व्यक्पि के अपराध करने पर पूरे समाज पर प्रतिबंध लगाना यह कहां का न्याय है। सभी समाज अपने-अपने धर्म के हिसाब से औजार रखते हैं।