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डेंगू के रोकथाम व नियंत्रण के संबंध में दिए गए दिशा-निर्देश

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:15 April 2019 3:08 PM GMT
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धमतरी, (ब्यूरो छत्तीसगढ़)। डेंगू एवं चिकुनगुनिया वेक्टर जनित रोग हैं, जो कि संत्रढमित मादा एडिस मच्छर के काटने से स्वस्थ व्यक्पि के शरीर में वायरस प्रवेश कर रोग संत्रढमण उत्पन्न करता है। मादा एडिस मच्छर उक्प वायरस का वाहक है, जो घर तथा आसपास जमा हुआ पानी में पनपता है। यह मच्छर दिन में काटता है तथा संत्रढमित एडिस मच्छर के अंडे भी संत्रढमित होते हैं। पानी के संपर्क में आने पर यह अंडा विकसित होकर संत्रढमित होता है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.डी.के.तुर्रे ने डेंगू के लक्षण की तीन स्थितियों की जानकारी देते हुए बताए कि डेंगू पीवर, डेंगू हेमोरेजिक पीवर और डेंगू शॅक सिंड्रोम। डेंगू पीवर के लक्षण हैं ठंड लगने के साथ अचानक तेज बुखार आना, सिर, मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द, आंखों के पिछले भाग में दर्द, जी मितलाना, उल्टी होना, गंभीर मामलों में नाक, मुंह तथा मसूड़ों से खून आना तथा त्वचा पर चकते उभरना। इसी तरह डेंगू हेमोरेजिक पीवर के प्रभाव के बारे में बताया गया कि दो से सात दिनों में मरीज की स्थिति गंभीर होना, शरीर का तापमान कम हो जाना तथा रक्पचाप कम हो जाना है। डेंगू शाक सिंड्रोम की स्थिति में आईशोलेसर वार्ड में रखा जाए तथा मरीज को वाहक संत्रढमण से बचाव के लिए 24 घंटे मच्छरदानी के अंदर रखा जाए।

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