सूखने के कगार पर तीन तालाब, निस्तारी की समस्या
महासमुंद,(ब्यूरो छत्तीसगढ़)। शहर में 6 मुख्य तालाब हैं। 3 तालाबों का गहरीकरण नहीं होने की वजह से सूखने के कगार पर पहुंच गया है। वार्डवासी आस लगाए हुए हैं, लेकिन पंड की कमी के चलते तालाबों का जीर्णोद्धार नहीं हो पा रहा है। वार्ड-16 में स्थित शीतला तालाब हो या गुड़रूतालाब व दर्री तालाब तीनों में पानी सूखने के कगार पर पहुंच गया है। पालिका के पास ऐसी कोई योजना नहीं है, जिससे तालाबों में पानी भरा जा सके।शहर में महामाया तालाब, शीतला तालाब, तामकी तालाब, बंधवा तालाब, दर्री तालाब, गुड़रू तालाब है। यह बिलकुल शहर के बीच में मौजूद है। गर्मी अपना असर दिखा रही है। महामाया तालाब में पानी तो है, लेकिन यहां भी गंदगी का आलम है। शीतला तालाब, गुड़रूतालाब व दर्री तालाब की स्थानीय लोग कई बार गहरीकरण की मांग कर चुके हैं, लेकिन इस ओर कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। ये तालाब प्रतिवर्ष सूख जाते हैं, लेकिन पालिका इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। शीतला तालाब का पानी भी प्रदूषित हो गया है। घरों से निकलने वाला गंदा पानी भी तालाब के बचे पानी में ही जाकर मिल रहा है। गहरीकरण के लिए राशि भी देनी की घोषणा की थी। नगर पालिका अध्यक्ष ने शीतला तालाब के गहरीकरण के लिए 5 लाख रुपए स्वीकृत किए थे, लेकिन गहरीकरण नहीं हो पाया। गर्मियों में बंधवा तालाब में पानी रहता है, इस बार यहां भी पानी कम है। हालांकि निस्तारी के लिए ही पानी बचा है। गुड़रूतालाब, दर्री तालाब, शीतला तालाब सूखने के बाद यहां के आस-पास के लोग और मौहारीभाठा के लोग बंधवा तालाब में ही स्नान के लिए पहुंचते हैं। लगातार भूजल स्तर भी घटना जा रहा है। जिला प्रशासन ने बोर उत्खनन पर भी प्रतिबंध लगाया है, लेकिन कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है। नगर पालिका ने तालाबों के सौंदर्यीकरण की भी योजना बनाई थी, लेकिन महामाया तालाब को छोड़कर किसी भी तालाब के सौंदर्यीकरण पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वहीं कई तालाबों में पचरी तक पानी भी नहीं पहुंच रहा है। वहीं कई जगहों की पचरी भी जर्जर हो गई है, जिसकी मरम्मत नहीं हो पा रही है।