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सोच बदल लो, जीवन बदल जाएगा : ब्रह्माकुमार शक्पिराज सिंह

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:4 May 2019 3:39 PM GMT
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रायपुर, (ब्यूरो छत्तीसगढ़)। इन्टरनेशनल माइण्ड व मेमोरी मैनेजमेन्ट ट्रेनर ब्रह्माकुमार शक्पिराज सिंह ने कहा कि अपनी सोच को बदलने से जीवन बदल जाएगा। अनुसंधान से पता चला है कि हमारे मन में पूरे दिन भर में साठ हजार के लगभग विचार पैदा होते हैं जिसमें से साठ प्रतिशत पालतू (व्यर्थ) होते हैं। अब हमें इन विचारों की गति को कम करना है। ताकि हमारी शक्पि व्यर्थ में खत्म न हो।ब्रह्माकुमार शक्पिराज सिंह आज प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा विधानसभा मार्ग पर स्थित शान्ति सरोवर में आयोजित खुशियों की चाबी नामक कार्यत्रढम के दूसरे दिन मन का सकारात्मक प्रबन्धन विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि लोगों के पास सोपासेट, ड्राईंग सेट, त्रढाकरी सेट, ज्वेलरी सेट आदि सभी सेट रखे हुए हैं लेकिन माउण्ड सेट नहीं है। वह अपसेट पड़ा हुआ है। उन्होंने बतलाया कि इस देश में बड़े-बड़े मेडिकल कालेज, इन्जीनियरिंग कालेज, लॉ कालेज आदि सब मिल जाएंगे लेकिन माइण्ड को सेट करना सिखाने के लिए कोई कालेज नहीं है। यह कार्य ब्रह्माकुमारी संस्थान में सिखलाया जाता है। माइण्ड को सेट करने के लिए राजयोग मेडिटेशन सबसे अच्छा तरीका है। जैसे मोबाईल की बैटरी को रोज चार्ज करते हैं, उसी प्रकार माइण्ड को भी रोज चार्ज करने की जरूरत है। रात को जब हम सोते हैं तो सिर्प शरीर को आराम मिलता है किन्तु मेडिटेशन करने से आत्मा को शान्ति की अनुभूति होती है।उन्होंने कहा कि निगेटिव एनर्जी से आत्मा रूपी बैटरी डिस्चार्ज होती है। घर में यदि कलह-क्लेष है इसका मतलब है कि बैटरी डिस्चार्ज है। मेडिटेशन के माध्यम से परमात्मा को याद करने से परमात्म शक्पि हमें प्राप्त होती है। उन्होंने बतलाया कि यदि लगातार इक्कीस दिनों तक खराब रिलेशन वाले व्यक्पि को पाजिटिव वायब्रेशन दिए जाएं तो उसके प्रभाव से खराब रिलेशन भी ठीक हो जाते हैं। उन्होंने निगेटिविटी को दूर करने का सबसे अच्छा उपाय बतलाते हुए कहा कि हम सभी आत्माएं एक पिता परमात्मा की सन्तान होने के कारण आपस में भाई-भाई हैं। जब यह ईश्वरीय ज्ञान हमें मिल जाता है और हम सामने वाले को जो है जैसा है स्वीकार कर लेते हैं तो अस्सी प्रतिशत झगड़ा समाप्त हो जाता है। आत्मा एक सूक्ष्म शक्पि है। वह शरीर के द्वारा कर्म करती है। हम सारे दिन में जितने भी लोगों के सम्पर्क में आते हैं उनके साथ हमारा कार्मिक एकाउण्ट बनता जाता है। जो कि हमें अपने जीवन में चुकाकर बराबर करना होता है। इसलिए जीवन में जब भी कोई विपरीत परिस्थिति आए, दुःख या संकट आए तो सदैव यह समझना कि पिछले जन्म का हिसाब-किताब खत्म हो रहा है। इससे स्ट्रेस प्री बने रहेंगे।

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