दस साल बाद भी भवन की नींव का एक पत्थर नही रखा गया
अम्बिकापुर, (ब्यूरो छत्तीसगढ़)। सरगुजा विश्वविद्यालय उधार के भवन में संचालित है। दरअसल सन 2008 से पारंभ होने के बाद से आज तक विश्वविद्यालय का अपना भवन नही बन सका है। इसके शुरुवाती दौर में भूमि आवंटन के बाद भवन निर्माण की जिक्वम्मेदारी विश्वविद्यालय को ही मिली थी। लेकिन लापरवाही की इंतहां ऐसी की 10 साल पूरा होने को है बावजूद इसके भवन की नींव भी नही रखी जा सकी है। उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप सरगुजा विश्वविद्यालय 2008 में अस्तित्व में आया। जिसके बाद वैकल्पिक व्यवस्था के तहत इसका संचालन जिला अस्पताल के समीप एक सरकारी भवन में होने लगा। वहीं सरकार ने शिक्षा के पति गति दिखाते हुवे 2009 में भकुरा गांव में तकरीबन 220 एकड़ भूमि भी आवंटित कर दी। लेकिन विश्वविद्यालय की स्थापना हुवे 10 साल बीतने को है बावजूद इसके सरगुजा विश्वविद्यालय की नींव का ही कहीं पता नही है। भूमि आवंटन के बाद लगभग 32 करोड़ रूपाये भवन के लिए स्वीकृत हुवे लेकिन विश्वविद्यालय पबंधन ने निर्माण का टेंडर निकलने के बजाय पहले भूमि तक पहुंचने के लिए सड़क का निर्माण करा दिया, जिसमें लगभग 2 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए। वहीं भूमि के समतलीकरण के लिए जेसीबी मशीन भी खरीद ली गई। लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। वहीं पबंधन की नई बाग डोर सम्हालने के बाद विश्वविद्यालय के कुलपति पोफेसर रोहिणी पसाद बेहतर पयास करने की बात कह रहे है। वर्तमान कुलपति बेहतर कार्ययोजना के साथ कार्य करने का भरोसा दिलाया रहे हैं और संभव है इस बार की पहल रंग लाएगी लेकिन भूमि आवंटन के साथ राशि की स्वीकृति के बाद बरती गई लापरवाही ऐसी की टूटा हुवा साइन बोर्ड इसका गवाह बन गया है। वही लेट लतीपी के साथ ही जेसीबी मशीन की खरीदी और उनके लिए ऑपरेटरों का भुगतान सहित सड़क का निर्माण राशि के बंदरबांट की ओर इशारा कर रहा है।