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जोगी कांग्रेस में जाना राजनीतिक भूल कवासी

👤 admin5 | Updated on:26 May 2017 11:55 AM GMT
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वीर अर्जुन संवाददाता

जगदलपुर। जोगी कांग्रेस के पूर्व संभागीय अध्यक्ष व सुकमा जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश कवासी ने कहा है कि जोगी कांग्रेस में जाना उनकी राजनीतिक भूल थी। इधर शहर में बस्तर परिवहन संघ सहित अन्य संघों पर जिस तरह से पशासन ने रोक लगाया है। इसे लेकर उन्होंने कहा कि दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर तक लोग परिवहन व्यवस्था चरमराने से परेशान हैं। पशासन ने आनन-फानन में जो कार्रवाई की है इससे परिवहन संघ के सदस्यों और इस व्यवसाय से जुड़े लोग तो पभावित हो रहे हैं। साथ ही आम आदमी भी अब पभावित होने लगा है। सरकार की इस नीति का हर व्यक्पि विरोध कर रहा है। आपसी वर्चस्व की लड़ाई में जनता को लपेटा जाना और संघों पर अपनी दादागिरी दिखाना पशासन की निरंकुश्ता का परिचायक है।इधर खूटपदर की घटना को लेकर उन्होंने कहा कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो लेकिन निर्दोष परेशान नहीं हो। झीरम घटना की चौथी बरसी पर शहर में पत्रकारो से चर्चा करते जैसे ही उन्होंने झीरम काण्ड के शहीदों को नमन किया पत्रकारों ने सवाल दागा कि आप कब कांग्रेस में आ रहे हैं। इस बात को लेकर कवासी हरिश ने कहा कि जोगी कांग्रेस में उनका जाना सिर्प पारिवारिक संबंधों को निभाना था। राजनीति में इसका कोई वजन नहीं होता है, यह उन्हें जैसे ही समझ आया वे जोगी कांग्रेस से दूरी बनाते चले गए। यहां तक की पार्टी सुपीमो अजीत जोगी के कार्यत्रढम में भी उन्होंने शिरकत नहीं किया। हरीश के अनुसार कांग्रेस में उनका जो ओहदा और सम्मान था और जिस राजनीतिक शिखर की वे तलाश कर रहे थे उसकी संभावनाएं खत्म हो चुकी थी। उन्होंने कहा कि सुकमा इलाके में उनका परिवार कांग्रेस से जुड़ा है और अब वे भी एक बार फिर घर वापसी की तैयारी में हैं।

जल्द ही वे कांग्रेस में पवेश करना चाह रहे हैं दिन समय अभी निर्धारित नहीं है। हरीश ने कहा कि जोगी कांग्रेस में जाने के बाद उन्हें समझ में आया कि राजनीति दिल से नहीं दिमाग से किया जाता है।

सरकार की मनमानी जारी

कवासी हरिश ने भाजपा सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते कहा कि पंचायती राज की व्यवस्था के तहत उनके इलाके में यह बात देखने को मिली है कि जिस तरह से डीएमएफई पंड बनाया गया है। इसमें नियमों को ताक में रखा गया है। इस पंड में जो गुप बनाया गया है इसमें कलेक्टर को अध्यक्ष और जिला पंचायत सीईओ को सचिव बनाया गया है जबकि इसी कमेटी में सांसद और विधायक को सदस्य बनाया गया है। उन्होंने कर्नाटक का उदाहरण देते बताया कि वहां पर इसी योजना में बनी समिति में पभारी मंत्री अध्यक्ष है और सीईओ को सह सचिव बनाया गया है लेकिन सरकार अपने फायदे और पशासनिक दबाव के चलते ब्यूरोत्रढsटस के हाथ में व्यवस्था को सौंप रही है। वहीं जनपतिनिधियों को दरकिनार किया जा रहा है। इस बात की जानकारी वित्त आयोग के अध्यक्ष चंदशेखर साहू को भी दी गई है। इस बात से भी अवगत करवाया गया है कि योजनाओं के त्रिढयान्यवयन के लिए जिला पंचायत अध्यक्षों को भी समिति में शामिल किया जाए।

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