सुकमा में बीते 12 वर्षों में 17 सहित 143 जवानों ने दी है शहादत
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के बुरकापाल इलाके में शनिवार को हुई पुलिस नक्सली मुठभेड़ में 17 जवान शहीद हो गए। इसी इलाके में बीते 12 वर्षों में ताड़मेटला में 76 सीआरपीएफ, अर्पलमेटा में 28 एसएएफ, ताड़मेटला में जगरगुंडा थानेदार हेमंत मंडावी समेत 8, कासलपाड़ में 14, बुरकापाल के बाद अब मिनपा में 17 जवानों सहित 143 जवानों ने शहादत दी है।
सुकमा जिला नक्सली मामलों में कितना संवेदनशील है इसी से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। पूरे बस्तर संभाग में नक्सलियों के पीएलजीए कैडर्स के लगभग 800 हथियारबंद नक्सली वर्तमान में सक्रिय हैं। जो घटना के बाद तितर-बितर होकर सरहदी इलाकों में चले जाते हैं। बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने इस बात का खुलासा किया है कि बस्तर संभाग में नक्सलियों के पीएलजीए केडर्स के 800 नक्सली सक्रिय हैं।
उल्लेखनीय है कि बस्तर संभाग में नक्सलियों के पीएलजीए कैडर्स के 800 नक्सली सक्रिय हैं। शनिवार को जिस नक्सलियों के दल ने जवानों पर हमला किया वह कंपनी नंबर एक के नक्सली है जिसका सरगना दुर्दांत नक्सली हिड़मा जो पीएलजीए कैडर्स के 800 नक्सलियों में से इनका लिडर है। हिड़मा पर 50 लाख से अधिक का इनाम घोषित है, तथा पुलिस रिकॉर्ड में वह हिटलिस्ट में है। वर्ष 2010 में हुई ताड़मेटला, बुरकापाल, झीरम सहित तमाम बड़ी नक्सल वारदातों को हिड़मा ने ही इसी इलाके में अंजाम दिया था। कंपनी नंबर 1 का मुख्यालय सुकमा यही इलाका माना जाता है, जहां मुठभेड़ में 17 जवान शहीद हो गये। इस इलाके को काफी संवेदनशील नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता है। शनिवार को भी कंपनी नंबर 1 के नक्सलियों ने हिड़मा की मौजूदगी में घटना को अंजाम दिया एसा माना जा रहा है।
छत्तीसगढ़ का सुकमा जिला नक्सली मामलों में काफी संवेदनशील होता जा रहा है, इसका सबसे बड़ा कारण महाराष्ट्र तेलंगाना और आंध्र प्रदेश सीमा को माना जा सकता है। बड़ी घटना के बाद नक्सली छिपने के लिए इन इलाकों का सहारा लेते हैं। शनिवार को हुई घटना के बाद भी नक्सली घने वनों व पहाड़ों का सहारा लेकर महाराष्ट्र तेलंगाना और आंध्र प्रदेश भाग गए होंगे। नक्सलियों के कंपनी नंबर 1 को तोड़ने के लिए एक बड़ी रणनीति की आवश्यकता है।
आंकड़े की बात करें तो बस्तर संभाग में हथियार बन्द पीएलजीए कैडर्स के नक्सलियों की संख्या लगभग 800 है। जबकि एक अनुमान के हिसाब से इनके विरुद्ध बस्तर संभाग में पैरा मिलिट्री और छतीसगढ़ पुलिस के करीब 50 हजार से अधिक जवानों की तैनाती है। इस हिसाब से एक नक्सली के लिए लगभग 60 से अधिक जवान होते हैं, लेकिन बस्तर संभाग का धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र जहां आवागमन के लिए पर्याप्त पहुंच सड़क का अभाव, नदी, नाले और पहाड़ के दुरुह भौगोलिक परिस्थितियां एवं महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, एवं मध्य प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र जहां नक्सली अक्सर वारदात कर भागने में कामयाब हो जाते हैं। ऐसी परिस्थितियों में एक नक्सली के लिए 60 जवान के होने के बावजूद नक्सलियों के गोरिल्ला वार युद्ध से निपटने के लिए यह भी पर्याप्त नहीं है। इसे और बढ़ाते हुए कैम्पों का विस्तार किया जाना अति आवश्यक हो गया है। एजेंसी/हिस