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झीरम घाटी कांड : प्रंशात मिश्रा जांच आयोग का कार्यकाल 20 बार बढ़ा अभी भी जांच अधूरी : गृहमंत्री

👤 Veer Arjun | Updated on:14 Nov 2021 4:45 AM GMT

झीरम घाटी कांड : प्रंशात मिश्रा जांच आयोग का कार्यकाल 20 बार बढ़ा अभी भी जांच अधूरी : गृहमंत्री

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रायपुर। झीरम घाटी कांड को लेकर गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि 28 मई 2013 को जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अगुवाई में जांच कमेटी बनी और उस दौरान तीन महीने में रिपोर्ट देने कहा गया, लेकिन तय सीमा में जांच नहीं हो पाई और लगातार तारीख पर तारीख बढ़ता गया और 20 बार तारीख बढ़ाया गया। शनिवार को प्रेसवार्ता करते हुए कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि जांच आयोग ने 23 सितम्बर 2021 को राज्य सरकार को पत्र लिखकर मांग की आयोग का कार्यकाल बढ़ाया जाए और अचानक 6 नवंबर 2021 को आयोग ने अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को दी। आयोग ने नियम के विपरीत रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी हैं, जबकि रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपना था। भाजपा नेता कांग्रेस नेताओं को कहते हैं कि वो डर रहे हैं, लेकिन हम डरेंगे क्यों, क्योंकि हमने तो अपने बड़े नेता इस कांड में खोया है।

कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि झीरम घाटी कांड की रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपने के बाद भाजपा को लगता है कि बड़ा मामला हाथ लग गया है। डी. पुरंदेश्वरी और डॉ. रमन सिंह कांग्रेस नेताओं पर आरोप लगा रहें हैं कि हम कुछ छुपाना चाहते हैं? हम बार-बार कह रहे हैं और आज भी कह रहे हैं षड्यंत्र हुआ है। इस राजनीतिक हत्याकांड के पीछे षड्यंत्र में कौन शामिल है सामने आना ही चाहिए। झीरम नरसंहार तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के माथे पर लगा कलंक का टीका है। रमन सिंह इस कलंक से मुक्त नहीं हो सकते। वे इतने भयाक्रांत क्यों है? हम चाहते हैं कि इस षड्यंत्र के पीछे कौन है सामने आए? डॉ. रमन सिंह और भाजपा सौ बार असत्य बोल कर, मनगढंत आरोप लगाकर कुछ न कुछ छुपाने के कार्य कर रही हैं।

राज्यपाल भवन से न्यायिक जांच रिपोर्ट भेजी गयी तो लिफाफा खुला हुआ था। जांच रिपोर्ट लीक होने की आशंका बलवती होती है। मुख्यमंत्री सचिवालय ने खुला लिफाफा लेने से इंकार किया तो उसके बाद लिफाफा सील बंद होकर पहुंचा। लेकिन हम तो चाहते हैं कि इस झीरम के षडयंत्र के पीछे किसका हाथ हैं? वह सामने आना चाहिए। गरियाबंद की घटना के बाद नन्दकुमार पटेल की सुरक्षा क्यों नहीं बढाई गई? जांच आयोग में दो सदस्य बढ़ाकर जांच का कार्यकाल बढ़ाया तो आखिर भाजपा को इससे दिक्कत क्या है। 6 नवंबर को झीरम की रिपोर्ट आयोग ने राज्यपाल को सौंपा। जबकि 23 सितम्बर को जांच अधूरी कहने वाली आयोग ने कैसे एक महीने में रिपोर्ट कैसे पूरी कर ली है? इस पूरे मामले पर भाजपा राजनीति क्यों कर रहीं हैं? राजभवन को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए। जांच रिपोर्ट राजभवन को नहीं बल्कि सीधे रिपोर्ट राज्य सरकार के पास आना था। जांच आयोग से भाजपा को आपत्ति क्यो? केंद्र सरकार की एनआईए जांच क्यों नहीं कर रही हैं? केंद्र सरकार जांच को रोकने का प्रयास कर रही है। उद्देश्य हमारा यही है कि जांच सही हो इसलिए हमने आयोग बनाया है।

प्रेसवार्ता में प्रभारी महामंत्री प्रशासन रवि घोष, प्रभारी महामंत्री संगठन चंद्रशेखर शुक्ला, विधायक डॉ. विनय जायसवाल, महामंत्री अमरजीत चांवला, संचार विभाग सदस्य आर.पी सिंह, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर, राजेश चौबे, सुरेन्द्र वर्मा, नितिन भंसाली, वंदना राजपुत, अमित श्रीवास्तव एवं संचार विभाग के सदस्य उपस्थित थे।(हि.स.)


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