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जब बच्चों ने पहली बार देखे मूंगफली, बाजरा, गेहूं और चने के पौधे

👤 Veer Arjun Desk | Updated on:26 Nov 2017 4:04 PM GMT

जब बच्चों ने पहली बार देखे मूंगफली, बाजरा, गेहूं और चने के पौधे

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अहमद नोमान

नयी दिल्ली, भाषा, दिल्ली जैसे मेट्रोपॉलिटन शहर में जन्मे, पले-बढ़े बच्चों के लिए इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में कृषि मंत्रालय का स्टॉल बहुत ही उत्सुकता जगाने वाला रहा।
शहरी जीवन और गांव के साथ कभी कोई रिश्ता नहीं रहने के कारण मेट्रोपॉलिटन के ज्यादातर बच्चों ने कभी गांव, खेत-खलिहान, फसलें, खेती आदि देखे ही नहीं। फसलों के नाम से लेकर उनकी बुआयी और उनका रूप-रंग सबकुछ उनके लिए किताबी ज्ञान और पुस्तकों में छपी तस्वीरें ही हैं।
ऐसे बच्चों और अन्य सभी को अपने देश, अपने गांव से वाकिफ कराने के लिए कृषि मंत्रालय की ओर से लगाये गए स्टॉल पर उत्सुकता से फसलों के पौधों को देख रहे 16 वर्षीय विवेक और 19 वर्षीय रागिनी का उत्साह देखते बन रहा था। किशोरवय के दोनों बच्चों के लिए मूंगफली, बाजरा, चना, गेंहू और दलहन के पौधों को देखना बड़ा सुखद अनुभव था।
स्टॉल पर आए 11 वीं कक्षा में पढ़ने वाले विवेक जुनेजा ने बताया, मूंगफली का पौधा देखना वाकई बहुत मजेदार है। मैं शहर में रहता हूं और कभी खेतों में नहीं गया। ऐसे में यहां मूंगफली और अन्य फसलों के पौधे देखना सच में उत्साहित करने वाला है। मुझे पहली बार मालूम हुआ कि मूंगफली फसल जड़ के करीब होती है। हालांकि अभी फसल पूरी तरह से पकी नहीं है।
दरअसल, 37वें अंतरराष्ट्रीय मेले में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग सरसों, मूंगफली, तिल, सूरजमूखी, अलसी, नाइजर, चना, गेहूं, बाजरा और मसूर के पौधों का प्रदर्शन कर रहा है ताकि कभी खेत खलियानों में नहीं गए लोग इन फैसलों को यहां देख सकें।
इसके अलावा मंत्रालय के स्टॉल पर बाजरा का पास्ता, रागी का पास्ता, ज्वार की सेवईं का भी प्रदर्शन किया जा रहा है।
स्टॉल पर तैनात सुरेंद्र कुमार मीणा ने भाषा को बताया कि हम अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में सरसों, मूंगफली, तिल, सूरजमूखी, अलसी, नाइजर, चना, गेहूं, बाजरा और मसूर के पौधों का प्रदर्शन कर रहे है।
उन्होंने कहा कि शहरों में रहने वाले ऐसे लोगों ने इन फसलों की खेती होते नहीं देखी, जिनका ताल्लुक खेतीबाड़ी से नहीं है। ऐसे में इन फसलों का नमूना पौधों के तौर पर यहां दिखाने से लोगों के ज्ञान में बढ़ोतरी हो रही है। वे देख रहे हैं कि फसल कैसे होती है।
मीणा ने कहा कि स्टॉल पर सबसे ज्यादा छात्र आ रहे हैं और इन फसलों के बारे में जानकारी हासिल कर रहे हैं।
वहीं रागिनी ने बताया, मैंने दिल्ली में फूलों के ही पौधे देखे और अपनी छतों पर रखे भी। लेकिन कभी फसल देखने का मौका नहीं मिला, खेतीबाड़ी से हमारा कोई नाता नहीं है और कभी गांव भी नहीं गई हूं। मगर यहां चना, सरसों और बाजरे के पौधे देखना वाकई मजेदार है।
उन्होंने कहा कि हम यहां आने वाले दर्शकों को न सिर्फ पौधे के बारे में बताते हैं बल्कि यह भी बताते हैं कि इसकी खेती कैसे होती है जैसे कौन सी फसल के लिए कौनसा बीज डाला जाता है।
मीणा ने बताया कि सरसों, मूंगफली, सूरजमुखी, अलसी और तिल से तेल भी निकाला जाता है। इन्हें तिलहन कहा जाता है।
उन्होंने कहा कि हम यहां आए दर्शकों को इन फसलों से निकाले जाने वाले तेल के नमूने भी दिखा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि लोगों को बाजरा का पास्ता, रागी का पास्ता, ज्वार की सेवईं के बारे में भी जानकारी दी जा रही है जो बाजार में बहुत जल्द उपलब्ध होंगे।

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