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महंगे खाद्य पदार्थ, ईंधन के कारण मार्च महीने में थोक मुद्रास्फीति बढ़कर 3.18 प्रतिशत हुई

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:15 April 2019 3:28 PM GMT
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नई दिल्ली, (भाषा)। खाद्य उत्पादों एवं ईंधन की कीमतों में तेजी के कारण थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मार्च में तीन महीने के उच्च स्तर 3.18 प्रतिशत पर पहुंच गयी। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों में इसकी जानकारी मिली।

थोक मुद्रास्फीति में लगातार दूसरे महीने की तेजी दिखी है।इससे पहले थोक मुद्रास्फीति फरवरी 2019 में 2.93 प्रतिशत, जनवरी 2019 में 2.76 प्रतिशत और दिसंबर 2018 में 3.46 प्रतिशत थी। पिछले साल मार्च महीने में यह 2.74 प्रतिशत थी। आलोच्य महीने के दौरान खाद्य पदार्थों में मुद्रास्फीति फरवरी के 4.28 प्रतिशत के मुकाबले बढ़कर 5.68 प्रतिशत पर पहुंच गयी। मार्च 2019 के दौरान सब्जियों के वर्ग में मुद्रास्फीति उछल कर 28.13 प्रतिशत पर पहुंच गयी। फरवरी में यह 6.82 प्रतिशत थी। हालांकि इस दौरान आलू का भाव सालाना आधार पर 1.30 प्रतिशत ऊंचा रहा। फरवरी में आलू का भाव एक साल पहले की तुलना में 23.40 प्रतिशत ऊंचा था। दालों एवं गेहूं में इस दौरान नरमी देखने को मिली और इनकी मुद्रास्फीति कम होकर क्रमश 10.63 प्रतिशत और 10.13 प्रतिशत पर आ गयी। अंडा, मांस और मछली जैसे प्रोटीन समृद्ध खाद्य पदार्थों में भी मुद्रास्फीति नरम होकर 5.86 प्रतिशत पर आ गयी। आलोच्य माह के दौरान प्याज के भाव में 31.34 प्रतिशत और फलों के भाव में 7.62 प्रतिशत की नरमी (अपस्फीति) देखी गयी। ईंधन एवं बिजली श्रेणी में भी मुद्रास्फीति फरवरी के 2.23 प्रतिशत से बढ़कर मार्च में 5.41 प्रतिशत पर पहुंच गयी। इसी तरह डीजल की मुद्रास्फीति फरवरी के 3.72 प्रतिशत से बढ़कर मार्च में 7.33 प्रतिशत पर पहुंच गयी। इसी तरह पेट्रोल मार्च में सालाना आधार पर 1.78 प्रतिशत महंगी रही जबकि फरवरी में पेट्रोल की मुद्रास्फीति 2.93 प्रतिशत थी।

एक सप्ताह पहले जारी आंकड़ों के अनुसार मार्च महीने के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति भी फरवरी के 2.57 प्रतिशत से बढ़कर मार्च में 2.86 प्रतिशत पर पहुंच गयी।

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