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सेबी ने कर्ज न चुका पाने वाली कंपनियों के अधिग्रहण नियम आसान किए

👤 admin3 | Updated on:21 Jun 2017 7:49 PM GMT

सेबी ने कर्ज न चुका पाने वाली कंपनियों के अधिग्रहण नियम आसान किए

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मुंबई, (भाषा)। बाजार नियामक सेबी ने आ" लाख करोड़ रुपये से अधिक के फंसे कर्ज से निपटने के लिये सरकार और रिजर्व बैंक के प्रयासों को बल प्रदान करते हुए कर्ज में डूबी संपत्ति वाली सूचीबद्ध कंपनियों के पुनर्ग"न के लिये अधिग्रहण नियमों में आज छूट देने का निर्णय किया। इसके तहत निवेशकों को खुली पेशकश से छूट दी गयी है लेकिन यह शेयरधारकों की मंजूरी जैसी कुछ अन्य शर्तों पर निर्भर करेगा। यह छूट उन उपायों में शामिल है जिसे सेबी के निदेशक मंडल ने आज यहां मंजूरी दी। इसके साथ ही बाजार विनियामक ने पी-नोट नियमों को कड़ा किया गया तथा विदेशी निवेशकों के लिये प्रवेश नियमों को आसान बनाया गया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ःसेबीः का यह निर्णय ऐसे समय आया है जब सरकार तथा रिजर्व बैंक फंसे कर्ज की समस्या से निपटने का प्रयास कर रहे हैं जो 8 लाख करोड़ रुपये से उढपर पहुंच गया है। निदेशक मंडल की बै"क में सेबी ने कर्ज में फंसी सूचीबद्ध कंपनियों के पुनर्ग"न के साथ-साथ दिवाला एवं ठ्ठिण शोधन अक्षमता संहिता के तहत मंजूर निपटान योजना के लिये नियमों को आसान बनाने का फैसला किया। सेबी ने कहा कि इस पहल का मकसद संकट में फंसी सूचीबद्ध कंपनियों को पटरी पर लाने के रास्ते को सुगम बनाना है।इससे शेयरधारक तथा कर्जदाता दोनों लाभान्वित होंगे। फिलहाल रणनीति ठ्ठण पुनर्ग"न ःएसडीआरः योजना के तहत कर्ज में फंसी सूचीबद्ध कंपनियों के पुनर्ग"न के लिये बैंकों के पास खुली पेशकश तथा तरजीही निर्गम की शर्तों से छूट मिली है। सेबी के पास ये बातें आयी थी कि जिन बैंकों ने शेयरों का अधिग्रहण किया है और उन्हें नये निवेशकों को बेचने में क"िनाइयां आती है क्योंकि इसके लिये उन्हें खुली पेशकश करनी होती है। इस प्रकार की पेशकश से संबंधित कंपनी में निवेश के लिये कोष की उपलब्धता कम होती है। इन चिंताओं को देखते हुए सेबी ने उन नये निवेशकों के लिये यह छूट देने का फैसला किया है जो संकट में फंसी कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदते हैं। नियामक की विज्ञप्ति के अनुसार, स्त्र् त्र्इस प्रकार की छूट कुछ शर्तों पर निर्भर करेगा। इसमें विशेष प्रावधान के जरिये शेयरधारकों की मंजूरी तथा न्यूनतम तीन साल के लिये उनकी शेयरधारिता को बनाये रखना शामिल हैं। विशेष प्रस्ताव में कम-से-कम 75 प्रतिशत कंपनी के शेयरधारकों की मंजूरी की जरूरत होती है। यह छूट दिवाला एवं ठ्ठण शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के तहत एनसीएलटी ःनेशनल कंपनी ला ट्राइब्यूनलः द्वारा मंजूर समाधान योजना के तहत अधिग्रहण के लिये लागू होगी। संहिता के तहत कर्ज दे रखे जो वित्तीय संस्थानों ठ्ठण शोधन कार्यवाही चाहते हैं, उन्हें सबसे पहले एनसीएलटी से संपर्क करना होगा। उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरूआत में रिजर्व बैंक ने संहिता के तहत समाधान के लिये 12 खातों की पहचान की। बाजार में काला धन के प्रवाह पर अंकुश लगाने का प्रयास जारी रखते हुए सेबी ने पाट&िसिपेटरी नोट ःपी-नोटः के नियमों को कड़ा कर दिया। इसके तहत प्रत्येक पी नोट पर।,000 डालर का शुल्क लगाया जाएगा। साथ ही सट्टेबाजी मकसद से इसे जारी करने पर पाबंदी होगी। सेबी के निदेशक मंडल की बै"क के बाद बाजार नियामक के चेयरमैन अजय त्यागी ने हालांकि कहा कि नियामक पी-नोट पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने पर गौर नहीं कर रहा है क्योंकि कुछ नये निवेशक भारतीय बाजार में आने के लिये इसी रास्ते का उपयोग करना चाहते हैं। यह निर्णय ऐसे समय किया गया है जब पी-नोट या आफशोर डेरिवेटिव्स इंस्ट्रूमेंट ःओडीआईः के जरिये निवेश के मूल्य में में पहले ही काफी कमी आ चुका है। अप्रैल में यह चार महीने के निम्न स्तर 1.68 लाख करोड़ रुपये रहा। नियामक ने प्रत्येक पी-नोट अंशधारक पर।,000 डालर का नियामकीय शुल्क लगाने का फैसला किया है। इसे एक अप्रैल 2017 से प्रत्येक तीन साल पर संग्रह और जमा जारीकर्ता एफपीआई ःविदेशी पोर्टफोलियो निवेशकः करेगा। साथ ही सेबी ने विदेशी निवेशकों के लिये घरेलू बाजार में प्रवेश के नियमों को आसान बनाने का आज फैसला किया। अजय त्यागी ने कहा कि नियामक ने एफपीआई के लिये त्र्उपयुक्त स्त्र् मानदंड को युक्तिसंगत बनाया है। साथ ही ऐसे निवेशकों के लिये व्यापक जरूरतों को सरलीकृत बनाया गया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ः सेबी ः ने एफपीआई के पंजीकरण को आसान बनाने को लेकर परिचर्चा पत्र जारी करेगा। नियामक ने एफपीआई पंजीकरण की अनुमित के लिये पात्र देशों के विस्तार का फैसला किया है। इसमें उन देशों को शामिल किया गया है जिनके भारत के साथ राजनयिक संबंध है। इसके अलावा सेबी के निदेशक मंडल ने 2016-17 की सालाना रिपोर्ट को मंजूरी दे दी।

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