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फेस्टीव सीजन में ही क्यों रूलाता है प्याज

👤 Veer Arjun | Updated on:16 Oct 2019 10:45 AM GMT

फेस्टीव सीजन में ही क्यों रूलाता है प्याज

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नई दिल्ली। हर साल दिवाली आते-आते प्याज आंसू निकालने शुरू कर देता है. प्याज की कील्लत हर बाजार में दिखने लगती हैं. कीमतें आसमान छूने लगती हैं. जिसके बाद आम जनता के साथ-साथ सरकार की मुश्किलें भी बढ़ जाती हैं।

प्याज की बढ़ती कीमतों के देखते हुए आम जनता की रसोई का बजट बिगड़ जाता है. वो प्याज के बिना ही अपना काम चलना शुरू कर देते हैं. जो कि सरकार की परेशानियों को और ज्यादा बढ़ा देती हैं. जिसके बाद सरकार कीमतों पर लगाम कसने के लिए कई उपायों का ऐलान करती हैं।

सरकार एक्सपोर्ट पर बैन, व्यापारियों के ज्यादा स्टॉक जमा करने पर रोक और सरकारी एजेंसियों के जरिए सस्ते कीमत पर प्याज की बिक्री जैसे कदम उठाने शुरू करती है. सरकार धीरे-धीरे इन समस्यों का हल निकाल ही रही होती है कि नवंबर आ जाता है और बाजार में प्याज की सप्लाई बढ़ने लगती है।

सप्लाई बढ़ाने के कारण सरकार इस समस्या को भूल जाती है. उसे लगता है कि अब कोई परेशानी नहीं है. जबकि वो ये नहीं देखती है कि हर साल आम जनता को इसी समय इसी समस्या का सामना करना पड़ता है. पिछले करीब दो दशक से भी ज्यादा समय से यही ट्रेंड देखने को मिल रहा है।

इन सारी परेशानियों को देखकर सवाल ये पैदा होता है कि आखिर ऐसे क्या कारण है, जिससे हर साल फेस्टिव सीजन यानी सितंबर से लेकर नवंबर तक बाजार में प्याज की किल्लत हो जाती है.तो चलिए जानते हैं कि उन कारणों के बारे में.।

प्याज की किल्लत का पहला कारण प्याज की बुआई में आई समस्या है. प्याज की बुआई के तीन सीजन होते हैं जुलाई-अगस्त, अक्टूबर-दिसंबर और अक्टूबर-नवंबर. इन तीन सीजन में ही प्याज की बुआई की जाती है।

जुलाई अगस्त वो सीजन है जब गर्मी और बारिश का मौसम होता है. कभी ज्यादा गर्मी पड़ जाने की वजह से और को कभी समय पर बारिश न होने के कारण फसल खराब हो जाती है. अक्टूबर-दिसंबर में ठीक से धूप न मिल जाने या फिर बिन मौसम बरसात के कारण अक्सर फसलें खराब हो जाती हैं।

जिसकी वजह से किसानों और स्टोरेज रखने वाले दोनों ही लोगों को समस्या का समना करना पड़ता है और प्याज की कीमतें आसमान छूने लगती हैं.तो वहीं अक्टूबर-नवंबर में स्थिती ठीक होती है जिसके कारण इस समय प्याज के दामों में थोड़ी स्थिरता देखने को मिलती है।

प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी का दूसरा कारण ठीक से स्टोरेज न करने की समस्या है. कृषि विभाग, सहकारी और किसान कल्याण समितियों के मुताबिक, भारत में कुल 2 फीसदी प्याज के भंडारण की ही क्षमता है, बाकी 98% प्याज खुले में रखा जाता है. क्योंकि प्याज सड़ने वाली फसल है इसलिए ठीक से स्टोरेज न करने की वजह से फसल खराब हो जाती है।

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