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आरबीआई छठी बार कर सकता है रेपो दर में कटौती

👤 mukesh | Updated on:2 Dec 2019 5:07 AM GMT

आरबीआई छठी बार कर सकता है रेपो दर में कटौती

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नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) पर नीतिगत दरों में कटौती का दबाव बढ़ गया है. जुलाई-सितम्बर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर के 4.5 प्रतिशत पर आ जाने के बाद आरबीआई लगातार छठी बार नीतिगत दरों में एक चौथाई प्रतिशत की कटौती कर सकता है.

केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति इस साल फरवरी से अक्टृबर तक अपनी पांच बैठकों में रेपो दर में पांच बार कटौती कर चुकी है जिसमें चार बार 0.25 प्रतिशत और एक बार अगस्त में 0.35 आधार अंकों की कटौती की जा चुकी है. इस प्रकार पांच बार कुल 1.35 प्रतिशत रेपो दर घटाई गई है. इसके बावजूद अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत नहीं दिख रहे. आसार हैं कि 3 से 5 दिसम्बर तक होने वाली बैठक में एक बार फिर रेपो दर घटाने का दबाव होगा. रेपो दर वह दर है जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को ऋण देता है.

सरकार के पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की 30 सितम्बर को समाप्त दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर घटकर 4.5 प्रतिशत रह गई जो छह वर्ष का सबसे निचला स्तर है. पहली तिमाही में यह पांच प्रतिशत थी. रिजर्व बैंक ने अक्टूबर में जारी मौद्रिक नीति में अनुमान जताया था कि दूसरी तिमाही में विकास दर 5.3 प्रतिशत रहेगी जबकि अगले छह महीने में इसके 6.6 से 7.2 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है. यह लगातार छठी तिमाही है जब विकास दर में गिरावट दर्ज की गई है. साथ ही यह वित्त वर्ष 2012-13 की अंतिम तिमाही के बाद विकास दर का निचला स्तर है. (एजेंसी हिस.)

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