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भारत-चीन साहित्यिक आदान-प्रदान के अंतर्गत 'बहुभाशिक चुनौतियां' विषय पर विचार-विमर्श सम्पन्न

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:24 Aug 2018 5:55 PM GMT

भारत-चीन साहित्यिक आदान-प्रदान के अंतर्गत  बहुभाशिक चुनौतियां विषय पर विचार-विमर्श सम्पन्न

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वीर अर्जुन संवाददाता

नई दिल्ली। साहित्य अकादेमी द्वारा 'भारत चीन साहित्यिक आदान-प्रदान' विशयक साहित्य मंच कार्पाम का आयोजन 24 अगस्त 2018 को नई दिल्ली में किया गया। अकादेमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने औपचारिक स्वागत करते हुए भारतीय लेखकों के द्वारा चीन के प्रतिनिधियों को अंगवस्त्र प्रदान कर उनके अभिनंदन के लिए आमंत्रित किया। अपने स्वागत वक्तव्य में उन्होंने भारत-चीन के लंबे सांस्कृतिक संबंधों को संदर्भित करते हुए कहा कि अकादेमी द्वारा भी चीन के साथ सांस्कृतिक विनिमय के ऐसे कार्पामों का आयोजन पिछले 30 वर्शों से निरंतर किया जाता रहा है। चीनी लेखक संघ के अंतरराश्ट्रीय संपर्क विभाग के श्री हू वेई ने अपने स्वागत वक्तव्य में भारत चीन की पारस्परिक समानताओं का उल्लेख किया। दोनों ही वक्ताओं ने फाहियान की भारत यात्रा को संदर्भित किया। चीनी लेखक संघ के उपाध्यक्ष श्री जिडी माजिया ने कार्पाम की अध्यक्षता की। उन्होंने साहित्य अकादेमी को इस आयोजन के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि ऐसे लेखक सम्मिलन से दोनों देषों के सांस्कृतिक और साहित्यिक परंपराओं और वर्तमान में मौजूद प्रािढयाओं को समझने में मदद मिलती है। उन्होंने दोनों देषों के दीर्घ सांस्कृतिक संबंधों के आदान-प्रदान की पृश्"भूमि को भी रेखांकित किया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भूमंडलीकरण के इस दौर में अपनी अस्मिताओं को पहचानना और उनकी रक्षा करना बहुत मुष्किल होता जा रहा है। इस तरह के आयोजनों से इन विसंगतियों को दूर करने के रास्ते निकल सकते हैं। कार्पाम में भारत चीन के महत्त्वपूर्ण आलोचकों, लेखकों की भागीदारी रही। चीन के सर्वश्री ली ज़ियाओमिंग, झांग किंघुआ, ली यांकिंग, झांग रुइफेंग तथा भारत के श्रीमती अनामिका तथा सर्वश्री एच.एस.षिवप्रकाष, हरीष त्रिवेदी एवं चंद्र मोहन ने अपने आलेख प्रस्तुत किए। कार्पाम के अंत में साहित्य अकादेमी के सचिव तथा चीनी दूतावास के सांस्कृतिक सलाहकार सचिव ने उपस्थित सभी चीनी प्रतिभागियों एवं उपस्थित साहित्य प्रेमियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

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