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दिल्ली पुलिस की विभिन्न परियोजना की समय-सीमा निर्धारित की जानी चाहिए ः बैजल

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:22 March 2018 6:35 PM GMT
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हमारे संवाददाता
नई दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल श्री अनिल बैजल ने कानून व्यवस्था की बैठक में अपराधों की रोकथाम,जांच इत्यादि के लिए विभिन्न तकनीक आधारित परियोजनाओं की समीक्षा की। इस बैठक में प्रधान सचिव, (गृह),दिल्ली सरकार,पुलिस आयुक्त ,दिल्ली, दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त एवं संयक्त आयुक्त उपस्थित थे।
सर्वप्रथम उपराज्यपाल महोदय को तकनीक पर हुई बैठक में लिए गए निर्णयों के बारे में बताया गया। ज्ञान भागीदारों के साथ गठजोड़ के संबंध में उपराज्यपाल महोदय को यह बताया गया कि तकनीक के क्षेत्र में सक्षम ज्ञान भागीदारों की पहचान की जा चुकी है। आइआइआइटी दिल्ली, आईजीडीटीयू, आइआइटी दिल्ली, डाटा सिक्यूरिट कांसिल आफ इंडिया और सी-डेक के साथ बातचीत चल रही है। उपराज्यपाल महोदय को यह भी सूचित किया गया कि आइआइआइटी दिल्ली और आइआइटी दिल्ली के साथ पुलिस के लिए तकनीकी केन्द्र स्थापित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
दिल्ली पुलिस ने उपराज्यपाल महोदय को अपने नवनियुक्त मुख्य तकनीकी सलाहकार को संगठनात्मक संरचना,रिर्पोटिंग सिस्टम और सहायक कर्मचारियों के बारे में बताया।
दिल्ली पुलिस ने उपराज्यपाल महोदय को यह बताया कि पिछली बैठक में दिए गए निर्देशानुसार मोबाइल साइबर फोरेंसिक लैब के विकास के लिए एक वाहन दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को आवंटित किया गया है।
पूर्व की बैठक में उपराज्यपाल महोदय ने मानव संशाधन को तैयार करने जोर दिया था जिससे भविष्य में अपराधों से निपटने के लिए तीन आयामी प्रस्ताव थे जैसेः पुन कौशल का विकास करना,तकनीक के लिए विशेष रूप से कौशल जनशक्ति और नए योग्य कर्मियों को शामिल करना इत्यादि। दिल्ली पुलिस ने उपराज्यपाल महोदय को यह बताया कि इस संबंध में प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं।
इस चर्चा के बाद दिल्ली पुलिस ने अपराधों की रोकथाम,जांच इत्यादि के लिए विभिन्न तकनीक आधारित परियोजनाओं के संबंध में एक विस्तृत प्रस्तुतीकरण किया जिसमें ई-साथी प्रोजेक्ट, शरीर आधारित कैमरे, आर्टिफिशल इंटेलिजेंश आधारित सीसीटीवी परियोजना, जीओ फेंसिंग प्रोजैक्ट,सी-मैप्स, एनपीआर प्रोजेक्ट, चेहरे की पहचान और एडवांस फोरेसिंक आदि शामिल थे।
ई-साथी प्रोजेक्ट के बारे में यह बताया गया कि नागरिक,बीट कांस्टेबल,पुलिस स्टेशन,और पुलिस मुख्यालय एक दूसरे से क्लाउड सर्वर के माध्यम से जुडे होंगे जोकि लापता बच्चों की पहचान,चोरी किए जाने वाले वाहनों,और अपराधियों की पहचान के बारे में मद्द करेगा। शरीर आधारित कैमरे के बारे में यह बताया गया कि यह अधिकारियों को लापता लोगों और वस्तुओं की पहचान में मदद करेगा जबकि जीओ फेंसिंग प्रोजैक्ट के बारे में यह बताया गया कि गश्त करने वाले मोटरसाइकिल और उसके लोकेशन को पता लगाने में मद्द करेगा। आटोमेटिक नम्बर प्लेट रिकोगनिसन (एनपीआर) के बारे में यह बताया गया कि यह एक एआई आधारित इंटिलिजेंट सपोर्ट सिस्टम है जोकि चोरी हुए वाहन के बारे में पता लगाएगा।
दिल्ली पुलिस ने उपराज्यपाल को चेहरे की पहचान वाली तकनीक के बारे में बताया जोकि लापता बच्चे दुरस्थ संदिग्ध सत्यापन,सुरक्षा से संबंधित संदिग्ध पहचान और भगोडे का पता लगाना और उस पर निगरानी रखने में मद्द करेगा।
अंतत उपराज्यपालको एंडवास फोरेंसिक जैसे मालवेयर फोरेंसिक, ािढप्टोकेरेंसी एनालाइटिक्स, क्लाउड फोरेंसिक और एंडवास मोबाइल फोरेंसिक के बारे में बताया गया। उपराज्यपाल ने जोर दिया कि दिल्ली पुलिस की विभिन्न परियोजना की समय सीमा निर्धारित की जानी चाहिए।

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