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असमंजस के हालात में हैं राजधानी के मुस्लिम मतदाता

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:19 April 2019 5:15 PM GMT
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-कृष्णदेव पाठक-

नई दिल्ली। दिल्ली में आम आदमी पार्टी व कांग्रेस के बीच समझौता अभी तक न होने को लेकर सबसे ज्यादा असमंजस में 'मुस्लिम मतदाता' हैं। वह समझ नहीं पा रहे हैं कि यदि तालमेल नहीं हुआ तो वह वोट कांग्रेस या आम आदमी पार्टी में से किसको दें जिससे उनके मत विभाजित न हों और भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर पड़ जाए। लेकिन समझौता न होने की हालत में वोट बंटेंगे वहीं ऐसा होना संभव नहीं है। यह बेचैनी आप व कांग्रेस नेताओं की भी है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पर जमकर हमला बोलने वाली आम आदमी पार्टी व उसके प्रमुख अरविन्द केजरीवाल का कहना है कि इस समय देश के लिए सबसे बड़ा खतरा नरेंद्र मोदी हैं इसलिए कांग्रेस से समझौता करने में कोई दिक्कत नहीं है? लेकिन इस सबको बीच माना जा रहा है कि अरविन्द केजरीवाल का यह कदम मुस्लिम मतों के बंटवारे को रोकने की योजना का ही एक अंग था लेकिन एक दर्जन बैठकों के बाद भी कांग्रेस व आम आदमी पार्टी में समझौते पर मोहर नहीं लग पाई है। इसका बड़ा कारण आप दिल्ली के नाम पर पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ व गोवा में भी कांग्रेस पर समझौते के लिए दबाव बना रही थी लेकिन दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों के नेताओं ने आप से तालमेल को खारिज कर दिया।

कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि हम दिल्ली में ही आप से समझौता चाहते हैं इस क्रम में कांग्रेस ने तीन व चार सीट का फार्मूला माना है। अन्य राज्यों में तालमेल न होने से नाराज आप अब कह रही है कि भाजपा को हराने के लिए हम समझौते को तो तैयार हैं लेकिन अब कांग्रेस को दो सीट नई दिल्ली व चांदनी चौक मिलेंगी और पांच पर हम लड़ेंगे। यह कहकर 22 अप्रैल का अल्टीमेटम आखिरी दे दिया है क्योंकि 23 अप्रैल नामांकन की अंतिम तिथि है।

जहां तक लोकसभा सीटों का सवाल है उसमें उत्तर पूर्वी दिल्ली, चांदनी चौक पूर्वी दिल्ली में मुस्लिम मतदाताओं की बड़ी संख्या है यदि यह मतदाता बड़ी संख्या में निकलकर एकतरफा मतदान करते हैं तो भाजपा के लिए दिक्कत खड़ी कर सकते हैं। अन्य सीटों पर भी मुस्लिम मतदाता हैं लेकिन वह इतनी बड़ी संख्या में नहीं हैं।

चांदनी चौक लोकसभा सीट में चांदनी चौक, बल्लीमारान, मटियामहल इन तीनों सीटों पर निर्णायक भूमिका में मुस्लिम मतदाता हैं इसके अलावा अन्य सात सीटों पर भी मुस्लिम मतदाता हैं। कांग्रेस के कपिल सिब्बल को गठजोड़ में अपनी जीत नजर आ रही है वह एक बार यहां से सांसद रह चुके हैं।

इस बार लेकिन यहां के मुस्लिम नेता चाहते हैं कि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित चुनाव लड़े उनका मानना है कि शीला की छवि सभी वर्गों में है इन हालातों में वह भारी मतों से जीतेंगी। इसी तरह उत्तर पूर्वी दिल्ली में सीलमपुर, मुस्तफाबाद, बाबरपुर, करावल नगर, सीमापुरी में काफी संख्या में मुस्लिम मतदाता हैं। इसी तरह पूर्वी दिल्ली लोकसभा में भी कई विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है।

मुस्लिम मतदाताओं में संशय यह है कि उन्हें लगता है कि राष्ट्रीय परिपेक्षय में कांग्रेस ही केंद्र में सरकार बना सकती है आम आदमी पार्टी लोकसभा की दौड़ में कहीं हैं इसलिए उन्हें वोट देने का फायदा नहीं है और यही बात 'आप' को परेशान करे है कि यदि वोट कांग्रेस को चला गया तो भाजपा फिर सातों सीट जाएंगी। यही बात मुस्लिम मतदाताओं को है इसलिए वह भी आप कांग्रेस गठबंधन पर जोर दे रहे हैं।

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