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शहाबुद्दीन को एकांत कारावास में रखने पर अदालत ने सीबीआई और आप सरकार से जवाब मांगा

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:21 March 2018 5:50 PM GMT
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विधि संवाददाता

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने विवादास्पद राजद नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन की याचिका पर सीबीआई और आप सरकार से आज जवाब मांगा। उन्होंने याचिका में आरोप लगाया है कि उन्हें पिछले साल फरवरी से कानून के खिलाफ और बिना किसी अदालती आदेश के यहां तिहाड़ जेल में एकांत कारावास में रखा गया है।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल15 फरवरी को शहाबुद्दीन को बिहार में सीवान जेल से यहां तिहाड़ जेल स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद शहाबुद्दीन को19 फरवरी2017 को तिहाड़ जेल स्थानांतरित कर दिया गया था। राजद के बाहुबली नेता ने अपनी याचिका में न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति पी एस तेजी की पी" से अधिकारियों को यह निर्देश देने को कहा कि शहाबुद्दीन को उच्च न्यायालय के सामने पेश किया जाए। शहाबुद्दीन फिलहाल तिहाड़ की जेल संख्या दो में रखे गए हैं। याचिका में उनकी सुरक्षा के लिये उपयुक्त आदेश की भी मांग की गई है।
याचिका में किये गए दावों पर गौर करते हुए पी" ने अधिकारियों को राजद नेता की अर्जी पर27 अप्रैल तक जवाब देने को कहा। शहाबुद्दीन ने अपनी याचिका में खुद को तत्काल एकांत कारावाससे हटाने की मांग की है। शहाबुद्दीन की तरफ से याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता रूद्रो चटर्जी ने कहा कि उनके मुवक्किल को तिहाड़ जेल के कड़ी सुरक्षा वाले वार्ड में अंधकारमय और सीलनभरीएकांत को"री में रखा गया है, जहां"ाrक से हवा और रोशनी भी नहीं आती है। शहाबुद्दीन ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि उन्हें बिना अदालत के आदेश के एकांत कारावास में रखा गया है। उन्होंने कहा, उन्हें पहले ही एक बार में एक साल से अधिक समय के लिये एकांत कारावास में रखा गया है, जिसकी कानून के अनुसार भी स्वीकृति नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि उन्हें कैंटीन की सुविधा और विशेष तौर पर अंडा और दूध से भी वंचित किया गया है। हालांकि, जेल में रखे जाने के दौरान डॉक्टर ने इन चीजों को खाने को कहा था।याचिका में कहा गया है, इस तरह आवश्यक पोषक तत्वों से वंचित किये जाने से याचिकाकर्ता के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा है। तिहाड़ लाए जाने के बाद से उनका वजन15 किलोग्राम घटा है। ऐसा उन्हें दिये जाने वाले अस्वास्थ्यकर आहार की वजह से हुआ है। याचिका में कहा गया है कि यह कार्वाई साफ तौर पर स्थापित करती है कि अधिकारी उन्हें जानबूझकर प्रताड]ित करने का प्रयास कर रहे हैं।

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