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राजनिवास ने राशन प्रस्ताव निरस्त करने के आरोप को गलत कहा

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:21 March 2018 5:51 PM GMT
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हमारे संवाददाता

नई दिल्ली। राशन की होम डिलीवरी के संबंध में उपराज्यपाल ने कहा कि एक कुशल सार्वजिनक वितरण प्रणाली यह सुनिश्चित करेगी की कोई योग्य लाभार्थी अपने हिस्से का राशन लेने से वंचीत ना हो और साथ ही साथ कोई अयोग्य व्यक्ति इस सुविधा का दुरपयोग कर रहा हो । जरूरतमंदों और गरीबों के खाद्यानों में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए और पूरा सिस्टम कुशल, किफायती एवं पारदर्शी तरीके से काम करे।
विभाग की पत्रावली में, वित्त विभाग ने यह पाया है कि राशन की होम डिलीवरी की प्रस्तावित वितरण प्रणाली केवल मानवीय हस्तक्षेप को अन्य हाथों में बदलेगी जैसा कि सेवा प्रदाताओं और उनके एजेंट। इसलिए प्रस्तावित योजना के तहत राशन सामग्री के बदलाव और भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं किया जा सकता। सबसे अच्छा विकल्प अाम्t ँाहग्tि ऊraहेािr (अऊ) अपनाना होगा जहां धनराशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में स्थानांतरित की जाएगी, इससे बिचोलिये पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे। वित्त विभाग ने यह भी पाया है कि होम डिलीवरी की योजना पर प्रतिवर्ष लगभग ढाई सौ करोड़ रूपये का खर्चा आएगा। यदि डीबीटी को लागू किया जाए तो लाभार्थी इससे बचे हुए पैसे से प्रति परिवार प्रतिमाह 5 किलो अतिरिक्त आटा खरीद सकता है। वित्त विभाग ने बीइएल (भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड) के साथ हुए मौजूदा समझौते (ई- पीओएस उपकरणों) की व्यवस्था के मुद्दे को भी उठाया है क्योंकि यहां इपीओएस मशीन के किराए के शुल्क, तराजू और आंख के उपकरणों की प्रतिबद्धताएं हैं। उपराज्यपाल ने कहा कि वित्त विभाग के सुझाव अतिविचारणीय हैं।
उपराज्यपाल ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार के कैबिनेट नोट में यह बताया गया कि दिल्ली सरकार और कुछ अन्य राज्यों ने 2012-13 के दौरान होलवीट आटा बांटा लेकिन इसके परिणाम उत्साह जनक नहीं रहे। इसके अलावा पिछली स्कीम की विफलता के लिए कोई कारण नहीं है और उससे कोई सबक भी नहीं सीखा गया, इससे यह स्पष्ट नहीं होता कि यह प्रस्ताव पुराने अनुभवों में कैसे सुधार करेगा । एक महत्वपूर्ण क्षेत्र में इस तरह के बदलाव करते हुए जो समाज के कमजोर वर्गों पर सीधा प्रभाव डालता है उम्मीद की जाती है कि सभी काम निपुणता से पूरे किए जाएं। इसके अलावा होम डिलीवरी से संबंधित 1 फरवरी, 2018 के भारत सरकार के पत्र में दो विकल्पों में से एक दिया गया है, केवल 65 वर्ष से अधिक आयु के लाभार्थियों के वर्ग के लिए विशेष अनुदान के रूप में या विकलांग हो और राशन कार्ड में परिवार के अन्य व्यस्क सदस्य का नाम नहीं होना चाहिए और वह उचित दर की दुकान तक जाने में सक्षम न हो।
यह भी उल्लेखनीय है कि टारगेटिड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन स्कीम, (टीपीडीएस) में केन्द्र सरकार, खाद्य भंडार के खरीद, भंडारण, वितरण और थोक आवंटन के ािढयान्वयन में प्रमुख भूमिका निभाता है। पूरा टीपीडीएस नेशनल फूड स्क्यूरिटी एक्ट 2013 के अन्तर्गत लागू किया जाता है। विधि विभाग ने भी यह पाया है कि प्रस्तावित योजना को लागू करने से पहले सैक्शन-12 (2) (एच) के तहत केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त कैबिनेट नोट ने अपने ऐंध्ऊ आंकलन के प्रस्ताव में कुछ कमियां भी पाई हैं। विभाग ने यह भी पाया है की योजना को शुरू करने में संभावित परिचालन और कार्यान्वयन जोखिम है और प्रारंभ में इसको पायलट आधार पर लागू करें ।
उपराज्यपाल ने सलाह दी कि टीपीडीएस के अन्तर्गत राशन की होम डिलीवरी का प्रस्ताव लागू करने पर अंतिम निर्णय लेने से पहले और पूरी जानकारी जैसे मुद्दे के साथ भारत सरकार को भेजा जाए। अत यह कहना गलत है कि टीपीडीएस के तहत राशन की होम डिलीवरी के प्रस्ताव को उपराज्यपाल ने निरस्त कर दिया है। एफपीएसएस में इपीओएस उपकरणों के प्रचालन को सस्पैंड करने के प्रस्ताव पर उपराज्यपाल ने कहा कि चोरी में कमी और पारदर्शिता लाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर टारगेटिड पब्लिक डिस्ट्रब्यूशन सिस्टम को एन्ड टू एन्ड कम्प्यूट्रीकृत करने के लिए इपीओएस उपकरणों को लागू किया गया। उपराज्यपाल ने यह भी कहा कि खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने बहुत मुश्किलों से ई-पोस उपकरणों को लगाने में सफलता प्राप्त की है। इसके अतिरिक्त भारत सरकार के माननीय खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री ने अपने पत्र में यह लिखा है कि वास्तव में दिल्ली में टीपीडीएस सुधारों की प्रगति 2015-16 से कम हो गई है और इपीओएस उपकरणों की स्थापना और संचालन के संबंध में कोई उल्लेखीय प्रगति नहीं हुई है।
केबिनेट के 20.06.2017 के निर्णय के अनुसार दिल्ली सरकार पीडीएस में भ्रष्टाचार को रोकने में तकनीक के प्रयोग को लेकर बहुत उत्सुक है। मंत्रीमंडल ने इसकी देरी पर अपना रोष भी व्यक्त किया था। इसके अतिरिक्त 23.01.2018 के एक अन्य केबिनेट में खाद्यान का गलत तरीके से वितरण और उसकी चोरी को रोकने के लिए खाद्यान को इ-पोस के द्वारा देने के लिए एफपीएस की मार्जिन मनी को लगभग तीन गुना (70 रूपये से 200 प्रति क्यूंतल) बढ़ाया गया। एक अन्य कैबिनेट निर्णय जो होम डिलीवरी से संबंधित है में ई-पोस उपकरण का उपयोग करके आधार प्रमाणिकरण के माध्यम से लाभार्थियों की सत्यापन की परिकल्पना की गई है। माननीय मंत्री से अब इपीओएस उपकरणों के संचालन को निलंबित करने के लिए एक प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। माननीय उपराज्यपाल ने कहा कि अचानक नीति में बदलाव से निर्णय लेने की पूरी प्रािढया की विश्वसनीयता कम हो जाती है।
उपराज्यपाल ने यह भी कहा कि जनवरी और फरवरी 2018 में 98 प्रतिशत और 98.75 प्रतिशत राशन सभी 2254 उचित दर की दुकानों में इपीओएस उपकरणों के माध्यम से आनलाइन वितरित किया गया। वास्तव में विभाग ने कहा है कि इपीओएस उपकरणों का संचालन अब एक महत्वपूर्ण चरण में है ताकि सिस्टम में से लगभग 15 से 20 प्रतिशत अयोग्य कार्ड धारकों को बाहर निकाला जा सके और लगभग 16 प्रतिशत राशन की बचत की जा सके। यह बचा हुआ राशन प्रतीक्षारत जरूरतमंद लोगों को बांटने के लिए उपयोग किया जा सकता है। इ-पीओएस उपकरणों के उपयोग से पोर्टेविलिटी की सुविधा भी मिलती है जैसे लाभार्थी अपनी पसंद की दुकान से राशन ले सकते हैं। यह प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के साथ-साथ लाभार्थियों और उपभोक्ताओं को सशक्त बनाता है।
माननीय उपराज्यपाल ने कहा कि जल्दबाजी में कोई भी निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए और सभी मुद्दों को विभाग द्वारा अच्छी तरह से देखा जाए। इसके साथ ही विभाग ने वर्तमान में टीपीडीएस में नामांकित होने वाले लाखों अयोग्य व्यक्तियों की संभावना जताई है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इसलिए माननीय उपराज्यपाल ने सलाह दी कि विभाग को यह अच्छी तरह से जांच करनी चाहिए कि बड़ी संख्या में लाभार्थियों ने इ-पीओएस उपकरणों के माध्यम से राशन क्यों नहीं लिया। यदि किसी भी नामांकित लाभार्थी को संबंधित दिशा निर्देशों/नियमों के अनुसार उचित प्रािढया का पालन करने के बाद अयोग्य पाया जाता है जैसाकि पहले भी किया गया है तो उनके नाम को हटाने और प्रतीक्षारत योग्य लाभार्थियों को पारदर्शी तरीके से शामिल करने की कार्यवाही की जानी चाहिए। यदि इपीओएस की वर्तमान प्रणाली में सुधार की जरूरत है तो उसे किया जाए।
उपराज्यपाल महोदय ने यह भी कहा कि इपीओएस उपकरणों को लागू करना एक राष्ट्रीय स्तर का सुधार है। अन्य राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के अनुभवों को समझने के लिए केन्द्र सरकार से परामर्श करना भी उपयोगी होगा ताकि अगर शुरूआत में ई-पोस को लागू करने में दिक्कत आए तो उसको कैसे हल किया जा सके।
अंत में उपराज्यपाल महोदय ने जोर देकर कहा कि वह माननीय मंत्री की भावनओं से पूरी तरह से सहमत हैं कि अगर एक भी गरीब परिवार राशन के कोटे से वंचित हो जाए तो यह एक बड़ी मानव त्रासदी है। उपराज्यपाल महोदय ने आगे कहा कि किसी भी योग्य लाभार्थी को उसके खाद्यान अधिकारों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए और साथ ही साथ अयोग्य लाभार्थियों को उन सुविधाओं का लाभ लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए जो गरीबों और जरूरतमंदों के लिए हैं। उन्होंने सलाह दी कि सुझावनुसार सबसे पहले इ-पीओएस उपकरणों के संचालन को निलंबित करने के लिए मंत्रीमंडल के निर्णय पर पुनर्विचार और कार्यवाही की जाए।

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