'सिद्ध गोष्टि' विषय पर दिल्ली कमेटी ने करवाया सेमीनार
हमारे संवाददाता
नई दिल्ली । गृहस्थ जीवन को दरकिनार करके जंगलों में प्रभु की बंदगी करने वाले सिद्धों के साथ श्री गुरुनानक देव जी द्वारा की गई विचार गोष्टि के बारे दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा सैमीनार करवाया गया। कमेटी के खोज संस्थान ''इन्टरनैशनल सेंटर फॉर सिख स्टडीज द्वारा आयोजित किये जाते मासिक लैक्चर की लड़ी के तहत इस बार ''सिद्ध गोष्टि'' विषय पर साहित्य केन्द्र देहरादून के सेवामुक्त निदेशक डा. हरभजन सिंह ने अपने विद्धवता भरपूर विचार रखे। इससे पहले कवि चरन सिंह चरन ने गुरुनानक देव जी यात्राओं को आधार बनाकर आजकल के आंडम्बर भरपूर कथित साधूओं पर कविता के माध्यम द्वारा कटाक्ष किया।
डा. हरभजन सिंह ने बताया कि गुरुनानक देव जी के आगमन से पहले सिद्धों, नाथों एवं जोगियों का बोलबाला था। सिद्धां का संबंध बोधियों से हुआ माना जाता है। यह तीनों अलग-अलग समुदाय थे, जोकि गृहस्थ जीवन को त्याग कर जंगलों में भक्ति के लिए भटकते थे। जन्म साखियों में गुरु साहिब द्वारा सिद्धों तथा जोगीयों के साथ अनेक गोष्ठीयों का हवाला है। जोकि बार-बार गुरु साहिब की शिक्षा का विरोध करते थे। क्योंकि उनको लगता था कि गुरु साहिब के कारण उनके धर्म तथा पंथ को खतरा पैदा हो गया है।
हरभजन सिंह ने भाई गुरदास जी के हवाले से बताया कि किस तरीके से गुरु साहिब ने सिद्धों के साथ विचारचर्चा करके उनके सभी प्रश्नों के उत्तर दिये थे। सिद्ध गोष्टि की बाणी के दूसरे भाग में नाथों से संबंधित प्रश्न उत्तर हैं। जोगी और नाथों ने बहुत करामातों के जरिये गुरु साहिब को अपनी शक्तियां दिखाने की कोशिश की थी। परन्तु गुरु जी ने सारी करामातों का जवाब तर्क तथा ज्ञान शक्ति से देकर उनका अहंकार तोड़ा था। जैसे कि कड़वे रीठों को मीठा करना आदि। गुरु साहिब ने मोह-माया त्याग कर जंगलों में विचरण कर रहे सिद्धां को कहा कि जंगल में बैठने से भगवान नहीं मिलता बल्कि कीचड़ में कमल फूल के जैसे रहना ही सही मानव धर्म है। इस मौके पर पंजाबी युनिवर्सिटी पटियाला के पूर्व कुलपति डा. जसपाल ंिसंह को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान आयोग का सदस्य बनने पर सम्मानित किया गया। डा. जसपाल सिंह के सम्मान में संस्थान की निदेशिका डा. हरबंस कौर साग्गू ने देश, कौम तथा धर्म के लिए उनके द्वारा दिये गये योगदान के लिए सम्मान पत्र पढ़ा। कमेटी अध्यक्ष मनजीत सिंह जी.के. ने डा. जसपाल सिंह का सम्मान करने के बाद बोलते हुए उनकी अपने परिवार के साथ रही नजदीकी का पा किया। डा. जसपाल सिंह ने कहा कि गुरु साहिब ने हमें लोगों को साथ बातचीत करने के लिए गोष्ठी के रूप में संवाद करने का अनोखा सिद्धांत दिया है।
संवाद होना बहुत जरूरी है। जो व्यक्ति बातचीत नहीं करता वो विकसित नहीं होता। कमेटी के मुख्य सलाहकार कुलमोहन सिंह ने स्टेज सचिव की सेवा निभाते हुए गणमान्य विद्धानों का धन्यवाद किया। पूर्व राज्यसभा सदस्य एवं संस्थान के चेयरमैन त्रिलोचन सिंह ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर धर्मप्रचार कमेटी चेयरमैन परमजीत सिंह राणा, कमेटी सदस्य परमजीत सिंह चंडोक, ओंकार सिंह राजा, कुलतारण सिंह कोछड़ आदि मौजूद थे।