रावण का पुतला बनाने के लिए दी गई जमीन के शुल्क पर दोबारा विचार करे सरकार : हाईकोर्ट
विधि संवाददाता
दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आप सरकार और नगर निगमों से कहा है कि शिल्पकारों को रावण का पुतला बनाने के लिए मुहैया कराए गए स्थानों के इस्तेमाल पर लगाए गए शुल्कों पर वे दोबारा विचार करें।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की एक पी" ने दिल्ली सरकार और नगर निगमों से कहा कि इन स्थलों के इस्तेमाल के लिये वसूले जाने वाले शुल्क पर दोबारा विचार करके वे इस संबंध में रिपोर्ट पेश करें।
पी" ने इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए सात अगस्त की तारीख तय की है।
शिल्पकारों ने अदालत को बताया था कि मौजूदा दर के हिसाब से प्रति वर्ग फुट के लिए उन्हें पांच रुपये देना होगा और इस तरह से हर महीने उन्हें 22,000 से 30,000 रुपये शुल्क देने होंगे और इतना ज्यादा वे वहन नहीं कर सकते। शिल्पकारों ने इस राशि को घटाकर एक रुपये प्रति वर्ग फुट करने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर वे मौजूदा नीति के तहत पंजीकरण के लिये आवेदन करते हैं तो प्रशासन को लगेगा कि उन्होंने इस ऊंचे शुल्क को स्वीकार कर लिया है।
अदालत ने राजस्थान से यहां आए शिल्पकारों के रावण के पुतलों को दक्षिण दिल्ली नगर निगम द्वारा नष्ट करने या जब्त कर लेने की खबर देखने के बाद खुद से ही इस मामले को जनहित याचिका बनाकर उसपर सुनवाई शुरू कर दी थी। नगर निगम का आरोप था कि ये शिल्पकार सरकारी जमीन का अतिक्रमण कर रहे हैं।