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डीयू के 11 कॉलेजों ने स्पोर्ट्स कोटे के छात्रों की मांग की

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:19 May 2018 6:09 PM GMT

डीयू के 11 कॉलेजों ने स्पोर्ट्स कोटे के छात्रों की मांग की

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हमारे संवाददाता

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के संबद्ध 11 कॉलेजों ने इस शैक्षिक सत्र 2018-19 से अपने यहां स्पोर्ट्स के अंतर्गत योगा विषय को स्पोर्ट्स कोटे के छात्रों को मांग की है।कॉलेजों का मानना है कि योगा को भी उतना ही बढ़ावा दिया जाना चाहिए जितना हम अन्य खेलों को प्राथमिकता देते हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय की एकेडेमिक काउंसिल के मेंबर और एडमिशन कमेटी के सदस्य प्रो. हंसराज 'सुमन 'ने बताया है कि 11 कॉलेजों ने इस शैक्षिक सत्र से अपने यहां से स्पोर्ट्स कोटे के अंतर्गत योगा के छात्रों की मांग की है।प्रो सुमन के अनुसार जिन 11 कॉलेजों ने स्पोर्ट्स में योगा को मांगा गया है उनमें कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टरडीज, देशबंधु कॉलेज, गार्गी कॉलेज, आई.पी कॉलेज, इंस्टीट्यूट ऑफ होम इकनॉमिक्स, हंसराज कॉलेज, जानकीदेवी मेमोरियल कॉलेज, कालिंदी कॉलेज, लक्ष्मीबाई कॉलेज, शहीद राजगुरु कॉलेज और विवेकानंद कॉलेज आदि है।
प्रो. सुमन का कहना है कि डीयू में जिस प्रकार से स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर फिजिकल एजुकेशन को एक विषय के तौर पर पढ़ाया जाता है उस स्तर पर कॉलेजों में योगा को एक विषय के रूप में नहीं रखा गया है बल्कि खेल के रूप में इसे प्राथमिकता दी गई है।प्रो सुमन का मानना है कि योगा को स्नातक स्तर पर पाठ्पाम के अंतर्गत रखना चाहिए ताकि पहले छात्र योग को जाने उसके बाद उसका अध्ययन करें।योगा के माध्यम से व्यक्ति अपने शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वश्चताको प्राप्त करता है।
प्रो सुमन ने बताया है कि योगा विषय को कॉलेजों के द्वारा प्राथमिकता देने के उद्देश्य के पीछे इस वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय की योगा महिला टीम पूरे भारत वर्ष में प्रथम स्थान पर आई थी,इसीलिए अधिकांश महिला कॉलेजों ने अपने यहां स्पोर्ट्स कोटे के अंतर्गत एडमिशन में योगा की छात्राओं को प्राथमिकता दी है। उन्होंने बताया है कि स्पोर्ट्स कोटे के अंतर्गत होने वाले एडमिशन जिसमें इस बार योगा को भी स्पोर्ट्स कोटे में रखा गया है की मांग को देखते हुए 21 मई तक कॉलेजों से यह मांगा गया है कि वे अपने यहां कौन सा खेल करवाना चाहते हैं।उनका कहना है कि 21 मई के बाद ही पता चल सकेगा कि किस कॉलेज को कौन सा खेल दिया गया है।कॉलेज उस खेल की ट्रायल कराता है और देखता है कि उस छात्र की कैसी परफॉर्मेंस है उसी के आधार पर उसके मार्क्स लगाएं जाते हैं फिर उन्हें कॉलेज अलॉट किए जाते हैं।अभी तक दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में योगा को एक सब्जेक्ट के रूप में नहीं रखा गया है बल्कि खेल के रूप में इसे प्राथमिकता दी गई है और इस बार से योगा को खेल का हिस्सा मानकर स्पोर्ट्स कोटे में रखा जा रहा है।उनका कहना है कि जिस तरह से इन्वायरमेंटल साइंस विषय को स्नातक स्तर पर सभी छात्रों के लिए पढ़ना अनिवार्य है ठीक उसी प्रकार से योगा विषय को भी अनिवार्य रूप से स्नातक स्तर पर सब्जेक्ट के रूप में रखा जाएं ताकि युवा पीढ़ी इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा जान सके और अपने जीवन में उतार सके।

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