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जातिवाद, भ्रष्टाचार जैसी सामाजिक कुरीतियां देश की प्रगति में बाधक : उपराष्ट्रपति

👤 manish kumar | Updated on:9 Oct 2019 4:42 AM GMT

जातिवाद, भ्रष्टाचार जैसी सामाजिक कुरीतियां देश की प्रगति में बाधक : उपराष्ट्रपति

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नई दिल्ली । उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने विजयादशमी के अवसर पर जातिवाद, रूढ़िवाद, भ्रष्टाचार और भेदभाव जैसी कुरीतियों से मुक्ति का आह्वान किया और कहा कि यह कुरितियां समाज और देश की प्रगति में बाधक हैं।

दशहरे के अवसर पर नई दिल्ली में श्रीधार्मिक लीला कमेटी द्वारा आयोजित रावण दहन कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ शामिल हुए उपराष्ट्रपति ने उपस्थित जन समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि लोग, विशेषकर बच्चे, बचपन से ही सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करें तथा स्वभाव में परस्पर सौहार्द, करुणा, सहिष्णुता, प्रेम, शांति, आदर, सहानुभूति और उल्लास का भाव विकसित करें।

दशहरे के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि मान्यता है कि आज ही के दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था तथा आज ही के दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर को

मार कर मानवता को मुक्ति दिलाई थी। हम किसी भी परम्परा में विश्वास रखते हों फिर भी यह तो निश्चित है कि दशहरा अधर्म पर धर्म की विजय तथा पाप पर सदाचार और पुण्य की विजय का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि दशहरा 'सत्यमेव जयते', अंत में जीत सत्य की ही होती है, पर हमारी सनातन आस्था का उत्सव है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि दशहरा सनातन मानवीय मूल्यों और मर्यादाओं का उत्सव है। यह अधर्म पर धर्म की विजय का उत्सव है।

राम राज्य के आदर्श का उल्लेख करते हुए नायडू ने कहा कि महात्मा गांधी, जिनकी 150वीं जयंती विश्व मना रहा है, उन्होंने भी भारत के लिए राम राज्य का स्वप्न देखा था। उन्होंने कहा कि नैतिकता, सदाचार, सद्गुणों और न्याय पर आधारित राम राज्य एक आदर्श समाज की परिकल्पना है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि राम राज्य राजा और रंक को समान अधिकार सुनिश्चित करता है।

रामायण को अखिल मानवता की साझी धरोहर बताते हुए नायडू ने आग्रह किया कि यह महाकाव्य जो भारत में जनमानस की चेतना का अभिन्न भाग रहा है, इसका निरंतर प्रचार, प्रसार, संरक्षण, शोध औ र अनुशीलन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा देश का हर नागरिक कुछ अंश में राममय अवश्य है, आज भी जनमानस राम कथा से स्वयं को निकटता से संबद्ध करता है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे श्री राम के जीवन से शिक्षा लें, परस्पर सौहार्द रखें और शांति और समावेशी सहिष्णुता के पथ पर चलें। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि न्याय, सुशासन और लोक कल्याण के प्रति हमारा संकल्प, हमें देश के भावी चतुर्दिक विकास के लिए प्रेरित करता रहेगा। इस अवसर पर श्री धार्मिक लीला कमेटी के महासचिव धीरज धीर सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। एजेंसी/हिस

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