संसद के अंदर और बाहर गूंजा जेएनयू छात्रों के आंदोलन का मुद्दा
नई दिल्ली । संसद के अंदर और बाहर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों के छात्रावास शुल्क में बढ़ोतरी को लेकर चल रहे आंदोलन की गूंज सुनाई दी। लोकसभा में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दानिश अली ने शून्यकाल में यह मामला उठाते हुए कहा कि छात्रावास शुल्क में भारी बढ़ोतरी से गरीब विद्यार्थियों के लिए जेएनयू में शिक्षा हासिल करना कठिन हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार शिक्षा का व्यवसायीकरण कर रही है जिससे उच्च शिक्षा गरीब विद्यार्थियों की पहुंच से बाहर हो रही है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह जेएनयू के छात्रों की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करें।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने जेएनयू के छात्रों के आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे छात्रों पर पुलिस लाठीचार्ज निंदनीय है। यह लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। उन्होंने आरोप लगाया कि जेएनयू परिसर में आपातकाल जैसी स्थिति है। वहां इतनी बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात हैं जैसा आपातकाल के समय भी नहीं हुआ था।
इस बीच, मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री संजय धोत्रे ने कहा कि आंदोलनकारी छात्रों को अतिवादी रवैया नहीं अपनाना चाहिए। मामले का हल बातचीत से संभव है। उन्होंने जेएनयू को एक उत्कृष्ट शिक्षण संस्थान बताते हुए कहा कि यहां से शिक्षा प्राप्त लोगों ने समाज जीवन में ऊंचा मुकाम हासिल किया है। हिस