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बारामूला जम्मू-कश्मीर का पहला आतंकी मुक्त जिला

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:31 Jan 2019 7:05 PM GMT
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उत्तरी कश्मीर के सीमांत जिले बारामूला को आतंकी मुक्त घोषित कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर में यह पहला जिला है जहां अब कोई आतंकी मौजूद नहीं है। घाटी में नब्बे के दशक में शुरू हुए आतंकवाद के तीन दशक का काला अध्याय समाप्त हो गया है। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने यह घोषणा की और इसकी पुष्टि की। दिलबाग सिंह ने साथ ही कहा कि आतंकी मुक्त जिला हुआ है न कि आतंकवाद मुक्त। डीजीपी ने आगे कहा कि बारामूला जिले में गत सप्ताह के ऑपरेशन में लश्कर के तीन आतंकी मारे गए थे। इनके खात्मे के साथ ही बारामूला में सक्रिय सभी आतंकियों का अंत कर दिया गया। स्थानीय आतंकियों के साथ ही विदेशी आतंकी भी सक्रिय थे। केवल तीन ही स्थानीय आतंकी रह गए थे। आतंक प्रभावित बारामूला में ही बता दें कि 2016 में आतंकियों ने उड़ी के सैन्य कैंप पर हमला किया था। इसी हमले के जवाब में मैंने एक लाजवाब फिल्म उड़ी द सर्जिकल स्ट्राइक देखी। यह फिल्म दर्शाती है कि किस तरह हमारे जांबाज कमांडो ने उड़ी हमले का बदला लिया। अगर आपने यह फिल्म नहीं देखी तो जरूर देखें। यह हिन्दुस्तान में बेहतरीन फिल्मों में से एक है। खुशी की बात यह भी है कि सेना और अर्द्धसैनिकों के ऑपरेशन ऑलआउट में उल्लेखनीय सफलता मिल रही है। कश्मीर के मोर्चे पर वर्ष 2018 सेना को खुशी दे गया है क्योंकि इस साल लगभग 311 आतंकी ठोंक डाले गए थे। पिछले 10 सालों में आतंकियों की मौत का यह सबसे बड़ा आंकड़ा था। हालांकि अभी चिन्ता के बादल छटे नहीं हैं क्योंकि 300 से अधिक आतंकी अभी भी कश्मीर में सक्रिय हैं तथा स्थानीय युवकों में आतंकवाद की ओर आकर्षण अभी भी बरकरार है। एसएसपी बारामूला इम्तियाज हुसैन मीर ने कहा कि सुहैब अखून समेत तीन आतंकियों का मारा जाना हमारे लिए बड़ी कामयाबी है। सुहैब बारामूला में नया बुरहान बन सकता था। उसने अपने साथ कुछ और लड़कों को जोड़ना शुरू कर दिया था। वह बारामूला में लश्कर, जैश, अल-बदर व हिज्बुल मुजाहिद्दीन के आतंकियों के बीच भी को-ऑर्डिनेटर बन उनकी विभिन्न प्रकार से मदद कर रहा था। मेरे लिए आज मेरे कार्य अधिकार क्षेत्र में एक भी स्थानीय आतंकी सक्रिय नहीं रहा है। जो तीन थे तीनों मारे गए हैं। इससे इंकार नहीं कि कश्मीर के माहौल को विषाक्त बनाने में एक बड़ी भूमिका पाकिस्तान और उसके इशारे पर काम करने वाले अलगाववादियों की है, लेकिन केवल पाकिस्तान को दोष देते रहने भर से बात बनने वाली नहीं है। यह देखते हुए और भी नहीं कि कश्मीर में कई संगठन आतंकवाद का ही कारोबार कर रहे हैं। पत्थरबाजों के अतिरिक्त तमाम आतंकी ऐसे ही संगठनों की देन हैं। सबसे बड़ी विडंबना यह भी है कि घाटी में असर रखने वाले जिन राजनीतिक दलों को कश्मीर में माहौल बदलने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए वह ऐसा करने से बच रहे हैं। हम हमारे बहादुर सुरक्षा बलों को इस शानदार सफलता पर बधाई देते हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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