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बेटियों के दम पर जकार्ता में इंचियोन का रिकॉर्ड टूटा

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:1 Sep 2018 2:39 PM GMT

बेटियों के दम पर जकार्ता में इंचियोन का रिकॉर्ड टूटा

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जकार्ता में चल रहे एशियन खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने इस बार कई नए रिकॉर्ड बनाए। बेटियों के लाजवाब प्रदर्शन के बूते पर भारत ने 2014 के इंचियोन एशियाई खेलों में जीते पदकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। दक्षिण कोरिया के इंचियोन में भारत ने 11 स्वर्ण समेत 57 पदक जीते थे। अभी तक (यानि शुक्रवार तक भारत ने कुल 65 पदक जीत लिए हैं)। इनमें 13 स्वर्ण, 23 रजत और 29 कांस्य पदक शामिल हैं। भारत आठवें स्थान पर है। जकार्ता खेलों में कई खिलाड़ियों की ऐतिहासिक परफॉर्मेंस रही। नीरज चोपड़ा ने एशिया खेलों के इतिहास में पहली बार पुरुषों की भाला फेंक प्रतियोगिता में 88.06 मीटर थ्रो करके न केवल स्वर्ण पदक जीता बल्कि एक नया राष्ट्रीय कीर्तिमान भी बनाया। रजत और कांस्य पदक हासिल करने वाले खिलाड़ी नीरज से काफी पीछे रहे। हेप्टाथलान रेस में स्वर्ण पदक जीतने वाली स्वप्ना बर्मन की अलग ही कहानी है। बाप रिक्शा चलाता है और मां चाय के बागान में काम करती है। अत्यंत गरीब परिवार की इस छोरी के दोनों पैरों में छह अंगुलियां हैं। जलपाईगुड़ी के गरीब परिवार की स्वप्ना दर्द के बीच हेप्टाथलन की सात इवेंट करती है। उसको जूते भी विदेश से मंगवाने पड़ते हैं। अब स्वर्ण पदक जीतने के बाद भारत की लिबर्टी कंपनी ने वादा किया है कि स्वप्ना के लिए स्पैशल जूते बनाकर देंगे। चार गुणा 400 मीटर रिले रेस में हिमा दास, एमआर पूवम्मा, सक्षिता बेन गायकवाड़ और विस्मा वेलुवा कोरेथ ने स्वर्ण पदक जीता। वहीं चक्का फेंक में सीमा पुनिया ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक जीता। भारत की बेटियों ने अब तक 29 पदक जीत लिए हैं। महिला हॉकी टीम ने 36 साल बाद स्वर्णिम इतिहास रच डाला जब वह हॉकी फाइनल खेलीं। विश्व की नौवें नम्बर की भारतीय महिला टीम ने एशियाई खेलों की हॉकी स्पर्द्धा में 20 साल बाद पहुंचने की उपलब्धि दर्ज की। बेशक वह फाइनल में हार गईं पर फिर भी उनकी उपलब्धि कम नहीं आंकी जा सकती। पुरुषों की हॉकी टीम से हमें स्वर्ण पदक की बहुत उम्मीद थी। मलेशिया से सडन डैथ में 7-6 से भारत के हारने से सारे देश के हॉकी प्रेमियों का दिल टूट गया। चैंपियन का रुतबा और 2020 टोक्यो ओलंपिक के सीधे प्रवेश का मौका भी गंवा दिया। 2018 के इस एशियन गेम्स में भारत के खिलाड़ियों ने ट्रैक एंड फील्ड में शानदार खेल प्रदर्शन किया। मैंने भाला थ्रो में नीरज चोपड़ा की ऐतिहासिक उपलब्धि का तो जिक्र किया पर जिनसन जॉनसन, उरपिंदर सिंह, 800 मीटर की रेस में डबल मैडल के ऐतिहासिक उपलब्धियों का जिक्र करना जरूरी है। जिनसन जॉनसन ने 800 मीटर की दौड़ में सिल्वर के बाद पुरुषों की 1500 मीटर दौड़ में गोल्ड मैडल हासिल किया। जिनसन जॉनसन ने इस गोल्ड के लिए जैसा प्रदर्शन किया, उसकी तुलना अगर 2016 में हुए रियो ओलंपिक से की जाए तो उन्हें वहां भी गोल्ड मिल जाता। जॉनसन ने 1500 मीटर की दौड़ में सोना जीतने के लिए 3ः44ः72 सैकेंड का समय लिया। रियो ओलंपिक में इस स्पर्द्धा के विजेता मैथ्यू ने 3ः50ः00 सैकेंड का समय निकाल कर गोल्ड जीता था। ट्रिपल जम्प में अरपिंदर ने 48 साल बाद देश को दिलाया गोल्ड। पुरुषों की 800 मीटर दौड़ में दोनों स्वर्ण और रजत मैडल जीतकर नया इतिहास बनाया। एशियाई खेलों में यह केवल दूसरा अवसर है जबकि भारतीय एथलीट 800 मीटर दौड़ में पहले दो स्थानों पर रहे। इनसे पहले नई दिल्ली में एशियाई खेलों में रंजीत सिंह और कुलवंत सिंह ने यह कारनामा किया। रंजीत सिंह और जिनसन जॉनसन ने यह इतिहास दोबारा रचा। जकार्ता में वे एशियन गेम्स अब अपने समापन की ओर बढ़ रहे हैं। इन खेलों के शानदार आयोजन पर आयोजकों को बधाई। यह खेल हमारे लिए तो कम से कम बहुत अच्छे रहे। चीन, जापान जैसे देशों के खिलाड़ियों को पछाड़ना बहुत बड़ी उपलब्धि रही। अब नजरें 2020 के टोक्यो ओलंपिक पर टिक जाएंगी जहां जकार्ता के इस शानदार परफॉर्मेंस की एक जबरदस्त चुनौती होगी। इस एशियाड में भारत का जैसा प्रदर्शन रहा है, इससे तो लगता है कि टोक्यो ओलंपिक में भी भारत का प्रदर्शन पहले के सालों से बेहतर रहेगा। सभी खिलाड़ियों को बधाई।

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