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ताज को हर कीमत पर बचाना होगा

👤 Veer Arjun Desk | Updated on:1 Sep 2018 3:50 PM GMT

ताज को हर कीमत पर बचाना होगा

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ताजमहल को प्रदूषण, अतिक्रमण से बचाने की सभी को चिन्ता है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इस राष्ट्रीय धरोहर की सुरक्षा, संरक्षा और हरित क्षेत्र जैसे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए परियोजना समन्वयक को व्यापक परिप्रेक्ष्य में दृष्टि पत्र तैयार करने की सलाह दी है, क्योंकि इस धरोहर के संरक्षण के लिए कोई दूसरा अवसर नहीं मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निश्चित ही इस मामले में ताजमहल को केंद्र में रखते हुए ही विचार करना होगा, लेकिन इसके साथ ही दृष्टि पत्र तैयार करते समय वाहनों के आवागमन, ताज ट्रिपेजियम जोन में काम कर रहे उद्योगों से होने वाले प्रदूषण और यमुना नदी के जल स्तर जैसे मुद्दों पर भी गौर करना चाहिए। ताज ट्रिपेजियम जोन करीब 1400 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है, जिसके दायरे में उत्तर प्रदेश का आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा तथा राजस्थान का भरतपुर जिला आता है। जस्टिस मदन लोकुर, एस. अब्दुल नजीर और दीपक गुप्ता की बैंच ने दृष्टि पत्र तैयार करने की प्रक्रिया में शामिल परियोजना समन्वयक से कहा कि यदि ताजमहल खत्म हो गया तो आपको दोबारा अवसर नहीं मिलेगा। अदालत ने कहा कि ताजमहल को संरक्षित करने के लिए प्राधिकारियों को अनेक बिन्दुओं पर विचार करना होगा। बैंच ने हरित क्षेत्र के साथ ही इस इलाके में कार्यरत उद्योगों तथा होटल और रेस्तरां की संख्या के बारे में भी जानकारी मांगी है। उत्तर प्रदेश सरकार व केंद्र सरकार दोनों ने अदालत को आश्वासन दिया कि वह एक व्यापक योजना पर विचार कर रही है। केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एएनएस नाडकर्णी ने कहा कि अदालत के आदेश के बाद उसे आगा खान फाउंडेशन, इंटेक और अंतर्राष्ट्रीय स्मारक और स्थल परिषद जैसी विदेशी दक्षता वाली संस्थाओं से भी इस बारे में विचार व सुझाव मिले हैं। नाडकर्णी ने कहा कि केंद्र ने आगरा को धरोहर शहर घोषित करने के लिए एक प्रस्ताव भेजने के वास्ते केंद्र को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग भी ताज के लिए धरोहर योजना तैयार करने की प्रक्रिया में है, जिसे तीन महीने के भीतर यूनेस्को के पास भेज दिया जाएगा। जनहित याचिका दायर करने वाले पर्यावरणविद अधिवक्ता महेश चन्द्र मेहता ने कहा कि यहां हरित क्षेत्र कम हो गया है और यमुना नदी के तट के आसपास अतिक्रमण है। सुप्रीम कोर्ट के 1996 के आदेश का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इस इलाके में अनेक उद्योग शुरू हो गए हैं, जिनमें से अनेक अपनी क्षमता से ज्यादा काम कर रहे हैं। हम माननीय सुप्रीम कोर्ट के आभारी हैं कि आखिर किसी ने तो इस राष्ट्रीय धरोहर को बचाने के लिए कदम उठाए, चर्चा की। अब इस मामले में अगली सुनवाई 25 सितम्बर को निर्धारित है। उम्मीद की जाती है कि अगली सुनवाई में कुछ ठोस सुझाव आएंगे और ताज को सही मायनों में बचाने के लिए कदम उठाए जाएंगे। इसे हर कीमत पर बचाना होगा।

-अनिल नरेन्द्र

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