Home » संपादकीय » तय थी रॉबर्ट वाड्रा और हुड्डा की घेराबंदी

तय थी रॉबर्ट वाड्रा और हुड्डा की घेराबंदी

👤 Veer Arjun Desk | Updated on:6 Sep 2018 6:42 PM GMT

तय थी रॉबर्ट वाड्रा और हुड्डा की घेराबंदी

Share Post

सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की घेराबंदी तय थी। सीनियर आईएएस अधिकारी डॉ. अशोक खेमका ने वाड्रा की कंपनी की जिस जमीन का म्यूटेशन रद्द किया था, उसी को मुद्दा बनाकर भाजपा हरियाणा में सत्ता पर काबिज हुई थी। हुड्डा और वाड्रा की घेराबंदी के लिए राज्य सरकार ने जस्टिस एनएन ढींगरा के नेतृत्व में आयोग का गठन भी इसीलिए किया था। केस दर्ज करने के लिए शायद माकूल समय का इंतजार था। नूंह के राठीवास निवासी सुरेन्द्र शर्मा की शिकायत पर शनिवार को वाड्रा और हुड्डा के खिलाफ भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी का मुकदमा खेड़की दौला थाने में दर्ज किया गया है। साथ ही रियल एस्टेट की कंपनी डीएलएफ एवं ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। वाड्रा और हुड्डा के खिलाफ एफआईआर भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 120बी, 467, 468 और 471 के तहत मुकदमा दर्ज किया है। सरकार दावा कर रही है कि इसमें करीब पांच हजार करोड़ की मुनाफाखोरी का खेल है। वाड्रा और हुड्डा के खिलाफ मामला दर्ज होने के साथ ही सियासी तूफान मचना स्वाभाविक था। कांग्रेस जहां एक ओर राफेल सौदे से ध्यान हटाने की बात कर रही है वहीं भाजपा इसे वाड्रा व हुड्डा की करतूत बता रही है। खुद रॉबर्ट वाड्रा ने एफआईआर को चुनावी स्टंट बताया है। कहा कि आखिर इसमें नया क्या है? चुनाव का मौसम है और तेल के दाम बढ़े हुए हैं, असली समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए यह एफआईआर दर्ज की गई है। मेरे दशकों पुराने मामले को उछाला जा रहा है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ पहले दिन से हम लड़ाई लड़ रहे हैं। पुलिस मामले की जांच कर रही है। जो दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी, कानून अपना काम करेगा। जांच अधिकारियों को आरोप साबित करने की अब चुनौती है। मामला पुराना होने व देरी के कारण पुलिस की राह आसान नहीं है। आरोपियों को सजा दिलवाने के लिए दस्तावेजी सबूतों के साथ-साथ गवाहों को खरा उतरना होगा। एक जानकार का कहना है कि जमीन घोटाले से जुड़े सभी दस्तावेज सरकार के पास थे, लेकिन सरकार ने इस मामले में स्वयं एफआईआर दर्ज कराने की पहल नहीं की, जबकि पुलिस ने एक अन्य व्यक्ति की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की और उस व्यक्ति का विवादित जमीन से कोई सरोकार नहीं है। एक जानकार वकील का यह भी कहना है कि पुलिस ने जमीन घोटाले में दर्ज एफआईआर में कई धाराएं ऐसी जोड़ी हैं, जिनका कोई औचित्य नहीं है। इन धाराओं के चलते आरोपियों को राहत मिलने की उम्मीद है, अब सारा दारोमदार पुलिस पर है। उन्हें अदालत में साबित करना होगा कि केस भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी से जुड़ा है जिसमें हजारों करोड़ का घपला मिलीभगत से हुआ है और यह राजनीति से प्रेरित बदले की भावना से नहीं किया गया केस है?

Share it
Top