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विदेश मंत्री का संतुलित व प्रभावशाली भाषण

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:30 Sep 2018 6:40 PM GMT

विदेश मंत्री का संतुलित व प्रभावशाली भाषण

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संयुक्त राष्ट्र संघ के वार्षिक अधिवेशन में अपने 22 मिनट के संक्षिप्त भाषण में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने चार विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए। इस बात की उम्मीद पहले से ही थी कि विदेश मंत्री का भाषण संतुलित एवं प्रभावशाली होगा। उन्होंने किसी एक विषय पर ही बल नहीं दिया। सबसे पहले उन्होंने देश में मोदी सरकार द्वारा किए गए टिकाऊ विकास कार्यों का विवरण दिया। इसके बाद उन्होंने पाकिस्तान द्वारा भारत में आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाया और दुनियाभर से अनुरोध किया कि वे पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों को रोकें। सुषमा जी के भाषण का तीसरा भाग संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर था। विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को प्रभावी बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि इसका संगठनात्मक सुधार हो अन्यथा यह संगठन भी लीग ऑफ नेशंस की तरह ही अप्रासंगिक हो जाएगा। विदेश मंत्री के भाषण का चौथा भाग था जलवायु परिवर्तन पर विकसित देशों को कर्तव्यबोध कराना।

सच तो यह है कि पहले भारत और पाकिस्तान के भाषण की विषयवस्तु एक-दूसरे पर निशाना साधने के उद्देश्य से ही तैयार की जाती रही है। लेकिन इस वर्ष विदेश मंत्री ने अपने भाषण को व्यापक बनाया किन्तु पाकिस्तान को छोड़ा भी नहीं। पाकिस्तान के विषय में विदेश मंत्री ने दो टूक शब्दों में कहा कि शांतिवार्ता और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा लिखे पत्र का उन्होंने उल्लेख किया और कहा कि पत्र में आग्रह किया गया था कि संयुक्त राष्ट्र महासंघ के अधिवेशन के दौरान दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक होनी चाहिए। सुषमा जी ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने पाक प्रधानमंत्री के प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया था। किन्तु पत्र लिखे जाने के तुरन्त बाद पाकिस्तान ने कश्मीर में सक्रिय रहे आतंकी बुरहान बानी पर डाक टिकट जारी किया वहीं दूसरी ओर पाक प्रशिक्षित आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर के तीन पुलिस कर्मियों को अगवा कर मार दिया। सुषमा जी ने विश्व समुदाय से पूछा कि क्या इन परिस्थितियों में एक आतंक समर्थक देश से वार्ता संभव है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान द्वारा भारत और अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकी गिरोहों की हर तरह की मदद के लिए आलोचना तो की ही साथ ही ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान द्वारा अपने देश में छिपाए रखने पर भी उसकी आलोचना की तथा इस बात को सिद्ध करने की कोशिश की कि पाकिस्तान मुंबई पर हमले कराने वाले हाफिज सईद को उत्साहित करता है तो न्यूयार्प के वर्ल्ड ट्रेड टावर को ध्वस्त करके हजारों निर्दोष लोगों की जान लेने वालों की भी संरक्षण दिया था। पाकिस्तान आज भी आतंकवाद को अपनी राष्ट्रीय नीति का हिस्सा मानता है। इसीलिए वह विश्व समुदाय के लिए संकट का मूल कारण बना हुआ है।

सुषमा जी के भाषण का दूसरा सबसे प्रभावशाली भाग संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर था। उन्होंने स्मरण दिलाया कि जिस वक्त संयुक्त राष्ट्र संघ और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का गठन हुआ उस वक्त भारत एक उपनिवेश था और इस संगठन के संचालन का एकाधिकार द्वितीय विश्वयुद्ध जीतने वाले राष्ट्रों को सौंप दिया गया। सुषमा जी ने कहा जो राष्ट्र आज अपने स्वतंत्रता के वर्षों बाद विकासशील हैं उन जैसे देशों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ एवं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सक्षम नहीं हैं। भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाए जाने के लिए उन्होंने इस संस्था में सुधार एवं विस्तार पर बल दिया।

सुषमा जी ने विकसित देशों को जलवायु को प्रभावित करने के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि जो देश जलवायु को प्रभावित करते ही नहीं उन्हें इसके लिए जिम्मेदार कैसे ठहराया जा सकता है। उन्होंने अमेरिका की धरती से ही अमेरिका को नसीहत दी कि वे अपने कर्तव्यों से भाग नहीं सकते।

यह सही है कि पाकिस्तान तो संयुक्त रष्ट्र संघ के अधिवेशन में कश्मीर राग अलापता ही है यदि उसी की तरह भारत भी सिर्प पाकिस्तान राग अलापने तक सीमित रह जाता तो विदेश मंत्री सुषमा जी के भाषण में व्यापकता का अभाव होता। उन्होंने आवश्यक विषयों पर अपने विचार व्यक्त कर साबित कर दिया कि भारत अन्य विकसित राष्ट्रों के साथ मिलकर विश्व शांति के लिए अपनी भूमिका निभाने को तैयार है।

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