दूसरी सर्जिकल स्ट्राइक
भारतीय सेना एवं बीएसएफ ने तो कुछ नहीं बताया किन्तु 27 सितम्बर को यानि 2016 में हुई 28 सितम्बर के पहले बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी वर्षगांठ के एक दिन पहले हमारे जवानों ने एक और सर्जिकल स्ट्राइक करके पाकिस्तान को अहसास करा दिया है कि वह जब भी दुस्साहस करेगा तो भारतीय सेना उसका बदला जरूर लेगी।
इस बार सर्जिकल स्ट्राइक के लिए जम्मू-कश्मीर के जम्मू व राजौरी जिले के बीच नियंत्रण रेखा पर केरी उप-सेक्टर को चुना गया। यह आपरेशन भारतीय सेना की स्पेशल फोर्स एवं सीमा सुरक्षाबल के विशेष कमांडो ने मिलकर किया। भारतीय टुकड़ी ने पाकिस्तानी क्षेत्र में प्रवेश कर कई बंकर तबाह किए और 15 पाक सैनिकों को मारकर जम्मू में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर 19 सितम्बर को पाकिस्तान की बैट एक्शन टीम द्वारा बीएसएफ के हैड कांस्टेबल नरेंद्र कुमार की बर्बर हत्या का बदला ले लिया। बैट एक्शन फोर्स ने नरेंद्र कुमार को यातना देकर शहीद किया था और हमारे सेना व बीएसएफ के जवानों में तीव्र रोष व्याप्त था। शुक्रवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस बात का संकेत जरूर दिया था कि सीमा पार कुछ ठीक-ठाक हुआ है किन्तु उन्होंने कुछ खुलकर नहीं बोला था। सेना और बीएसएफ के प्रवक्ता ने भी सर्जिकल स्ट्राइक से संबंधित कोई अधिकृत बयान नहीं दिया। सीमा पार पाकिस्तानी सेना द्वारा अपने सीमांत क्षेत्र के गांवों एवं कस्बों से नागरिकों को सुरक्षित क्षेत्र के स्कूलों व मस्जिदों में चले जाने का निर्देश तो दिया ही साथ ही सेना की हलचल देखकर भारतीय खुफिया तंत्र इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि या तो पाकिस्तान की सेना भारत के खिलाफ कोई बड़ा दुस्साहस करने की तैयारी में है अथवा अपने देश को इस बात का अहसास कराना चाहती है कि सेना देश की सुरक्षा में सदैव तत्पर रहती है।
दरअसल इन दिनों पाकिस्तान की सेना में युवा अधिकारियों ने शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ खुलकर बोलना शुरू कर दिया है। कर्नल और कुछ ब्रिगेडियर स्तर के अधिकारी तक अपने शीर्ष अधिकारियों के भारत विरोधी सुरक्षा नीति को आत्मघाती मानकर इसमें बदलाव की मांग कर रहे हैं। युवा सैन्य अधिकारी मानते हैं कि पाक सेना की फिदायीन रणनीति भारत के लिए बनी जरूरी है किन्तु इससे पाकिस्तान को भी नुकसान हो रहा है। लेकिन फिदायीन के बल पर भारत को संकट में डालने वाले शीर्ष सैन्य अधिकारी अपने युवा अधिकारियों की सलाह से सहमत नहीं हैं। इससे लगता है कि पाक सेना अब भारत के खिलाफ षड्यंत्र करने के बारे में फैसले ले सकती है। पाक सेना के लिए इस वक्त अपनी एकता ज्यादा जरूरी है। इसके अलावा पाकिस्तान की मीडिया और विपक्ष भी सेना की भारत विरोधी रणनीति से संतुष्ट नहीं है। पाक सैन्य प्रतिष्ठान अच्छी तरह जानता है कि यदि युवा पीढ़ी, राजनीतिक पार्टियां और मीडिया में सैन्य रणनीति के बारे में अविश्वास के बीज पड़ गए हैं तो निश्चित रूप से यह पाक सेना की भारत विरोधी रणनीति के लिए खतरे की घंटी है।
बहरहाल भारतीय सेना एवं अर्द्धसैनिक बल को भारत सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि पहले गोली चलाओ नहीं और यदि सीमा पार से पहले गोली चले तो जवाब में गोली गिनों नहीं। सुरक्षाबलों के हाथ बंधे नहीं हैं वे दुश्मन राष्ट्र से बदला लेने के लिए समुचित जवाब देने के लिए स्वतंत्र हैं। इसलिए पाकिस्तान के हर दुस्साहस का बदला लेने के लिए हम सक्षम हैं और यदि पाकिस्तान ने आंतरिक दबाव में किसी तरह का दुस्साहस किया तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।