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जलते कूड़े, बदबू और धुएं से घुट रहा है दम

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:6 Oct 2018 6:36 PM GMT
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यमुनापार इलाके में सफाई कर्मचारियों की हड़ताल को लगभग एक महीना होने जा रहा है। कूड़े की वजह से हर इलाके में बदहाली का आलम है। पूरे यमुनापार में जहां खाली जगह है, वहीं कूड़े का ढेर नजर आ रहा है। गंदगी और बदबू की वजह से कॉलोनियों से लेकर बाजारों तक लोग नाक पर कपड़ा रखे खड़े नजर आ रहे हैं। कूड़े से परेशान होकर गली, सड़क, चौराहे पर कूड़े के ढेर में आग लगा दी जाती है, जो हवा को दूषित कर रही है। कूड़े का धुआं और बदबू लोगों को बीमार बना रही है। ब्रह्मपुरी रोड पर शायद ही ऐसी कोई गली का नुक्कड़ हो, जहां पर कूड़े के ढेरों में आग नहीं लगी है। जलते कूड़े की लपटें और धुआं लोगों के लिए नई मुसीबत बन गया है। यहां लोगों के चलने के लिए काफी कम जगह बची है। सड़क पर गाड़ियों के बीच पैदल चलने को लोग मजबूर हैं। पुरानी सीमापुरी में एक कूड़े का ढेर ऐसा भी है, जहां स्थानीय लोगों ने कूड़े में एक झंडा लगाया है ज़िस पर लिखा हैöयह है स्वच्छ भारत अभियान। आखिरकार दिल्ली सरकार ईस्ट एमसीडी को 330 करोड़ रुपए देने को तैयार हो गई है। यह पैसा ईस्ट एमसीडी को करीब-करीब तय हो गया है कि इससे तीन महीने से सैलरी का इंतजार कर रहे ग्रुप ए, बी और सी के कर्मचारियों को दो महीने की तनख्वाह और रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंडिंग पेंशन दी जाएगी। ईस्ट एमसीडी को हर महीने 170 करोड़ रुपए की जरूरत होती है, जिससे सैलरी और पेंशन दी जाती है। यह रकम सैलरी और पैंशन में ही खत्म हो जाती है। सफाई कर्मचारियों की सारी मांगों को पूरा नहीं किया जा सकता। पर सैलरी और पेंशन देना तो जरूरी है। बाकी मांगों पर विचार हो सकता है। बृहस्पतिवार को 24 दिन से हड़ताल पर चल रहे सफाई कर्मचारी बड़ी आस लेकर ईस्ट एमसीडी हैड र्क्वाटर पहुंचे थे। मेयर समेत ईस्ट एमसीडी पर काबिज भाजपा नेता और इंचार्ज कमिश्नर समेत अन्य आला अफसरों के बीच करीब दो घंटे तक मैराथन मीटिंग चली। सुबह से शाम तक चले फुल ड्रामे का रिजल्ट हड़ताली यूनियनों के बीच फूट के रूप में सामने आया। शाहदरा नॉर्थ जोन पर काबिज यूनियन ने हड़ताल खत्म करने का ऐलान किया तो साउथ जोन के अध्यक्ष ने बगैर नोटिफिकेशन आए हड़ताल खत्म करने से इंकार कर दिया। एक यूनियन के जयभगवान जाटव ने कहा कि हमें आश्वासन मिला है कि 31 मार्च 1998 से 2017 तक कार्यरत सभी कर्मचारियों को पक्का कर दिया जाएगा। साथ ही हड़ताल पर रहने के बाद भी 25 दिनों की सैलरी नहीं काटी जाएगी। लिहाजा हमने हड़ताल खत्म कर शनिवार से काम पर लौटने का ऐलान किया है। वहीं दूसरी यूनियन के अध्यक्ष संजय गहलौत का कहना है कि जब तक हमारी मांगों पर लिखित आश्वासन नहीं मिलता तब तक काम बंद हड़ताल जारी रहेगी। इस पूरे मामले में सियासी दावे भी चले जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि एक यूनियन एक नेता के इशारों पर काम कर रही है। उन्हें जानबूझ कर उकसाया जा रहा है। ऐसे में हड़ताल जारी रखने का क्या औचित्य है जब कर्मचारियों की मांगों को लगभग मान लिया गया है।

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