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केदारनाथ मंदिर अगले सौ साल तक सुरक्षित होगा

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:11 Oct 2018 6:42 PM GMT
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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा कराए जा रहे केदारनाथ मंदिर संरक्षण कार्य से विभाग ने दावा किया है कि मंदिर को नया जीवन मिल गया है। केदारनाथ मंदिर को अगले सौ साल तक कोई भी परिस्थिति नुकसान नहीं पहुंचा सकेगी। इसके लिए वहां के स्थानीय पत्थर का ही उपयोग किया गया है। मंदिर के गर्भगृह से सफेद पत्थर को निकाल दिया गया है। इस समय मंदिर के बाहर फर्श का काम चल रहा है। मंदिर के संरक्षण कार्य में अब तक साढ़े तीन करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। जून 2013 में आई भीषण बाढ़ के कारण मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा था। सिर्प मंदिर ही बचा था और आसपास की सारी इमारतें, दुकानें व सड़कें बह गई थीं। पानी नीचे जहां-जहां भी गया तबाही लेकर गया। बस्तियां, छोटे-छोटे रास्ते के शैड सब हमेशा के लिए गायब हो गए थे। चूंकि मैं इस तबाही से कुछ पहले ही केदारनाथ बाबा के दर्शन करने गया था इसलिए मुझे सारा सीन याद है। दर्जनों लोग ऐसे गायब हुए जिनका आज तक पता नहीं चला कि वह गए कहां? अभी तक मंदिर में संरक्षण कार्य कुछ ये हुए हैंöमंदिर के पीछे की तरफ से लेकर चारों ओर छह-सात फुट ऊंचाई तक जमा पत्थरों का मलबा हटाया गया है। मंदिर के मुख्य द्वार गेट को बदला गया है। मंदिर के बाहर स्थित नंदी के चबूतरे को बदला गया है। मंदिर के गर्भगृह में लगाए गए सफेद पत्थर को हटाकर स्थानीय हार्ड स्टोन (कड़ा पत्थर) लगाया गया है। 60-70 साल पहले भूकंप के कारण मंदिर में आई एक दरार को दूर किया गया है। छत व पत्थर की दीवारों को ठीक कराया गया है। अधीक्षक पुरातत्व (देहरादून) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) लिली धमसाना का कहना है कि मंदिर के संरक्षण का कार्य अब अंतिम चरण में है। इसे अगले माह तक पूरा कर लिया जाएगा। वहां पर काम करना और संरक्षण के लिए सामान पहुंचाना कठिन कार्य है। हमारी टीम ने कठिन परिस्थितियों में बड़ी मेहनत से संरक्षण कार्य पूरा किया है। श्रद्धालु अब बाबा केदारनाथ के दर्शन नए रास्ते से करेंगे। रास्ते को इसी साल 31 अक्तूबर तक पूरा कर लिया जाएगा। मौजूदा रास्ते का उपयोग श्रद्धालुओं के लौटने के लिए किया जाएगा। राज्य की त्रिवेन्द्र रावत सरकार ने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर यह फैसला किया है। केदारनाथ स्थित सैंट्रल प्लाजा से यह रास्ता मंदाकिनी के सुरक्षा दीवार से सटाकर बनाया जा रहा है। 400 मीटर लंबा यह रास्ता टीन से ढका होगा ताकि श्रद्धालु बारिश से बच सकें। इस रास्ते का अगले साल उपयोग किया जाएगा। इन दिनों केदारधाम के दर्शन को आठ से नौ सौ तीर्थ यात्री ही पहुंच रहे हैं। बताया जा रहा है कि केरल की बाढ़ और मानसून सीजन लंबा खिंचने से यात्री कम पहुंच रहे हैं। नए सुरक्षित कदमों का हर शिवभक्त स्वागत करता है और अब भविष्य में बीते हादसे जैसा फिर नहीं होगा। ओम नम शिवाय, हर-हर महादेव।

-अनिल नरेन्द्र

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