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टिकटों की मारामारी और बागियों की समस्या

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:12 Nov 2018 7:24 PM GMT
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पांच राज्यों की विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया आरंभ हो गई है। छत्तीसगढ़ में पहले दौर के वोट पड़ने शुरू हो गए हैं। राजस्थान और मध्यप्रदेश में वोट पड़ने हैं। राजस्थान में टिकटों के लिए मारामारी हो रही है। टिकटों के लिए घमासान हो रहा है चाहे भाजपा का यह हाल हो चाहे कांग्रेस का। इससे पहले बता दें कि एक ताजा सर्वे सी-वोटर का आया है। पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले सी-वोटर के नवम्बर के दूसरे हफ्ते के ओपिनियन पोल में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की टक्कर होगी जबकि राजस्थान और तेलंगाना में कांग्रेस सत्ता में आती दिखाई दे रही है। पूर्वोत्तर के राज्य मिजोरम में कांग्रेस पार्टी इस बार सत्ता से बाहर हो सकती है। राजस्थान की कुल 200 सीटों में कांग्रेस को 47.9 प्रतिशत वोट और 145 सीटें दिखाई जा रही हैं। जबकि भाजपा को 39.7 प्रतिशत वोट और 55 सीटें ही मिलती बताई जा रही हैं। मध्यप्रदेश में कांग्रेस को 42.3 प्रतिशत और 116 सीटें मिलने की संभावना दर्शाई जा रही है जबकि भाजपा को 107। कुल सीटें हैं 230। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को 41 प्रतिशत वोट और 90 में से 41 सीटें और भाजपा को 41.6 प्रतिशत वोट और 43 सीटें। टिकट की मारामारी के बाद अब बागियों ने भाजपा और कांग्रेस के लिए 30 से ज्यादा सीटों पर मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। मध्यप्रदेश के पर्चा भरने की आखिरी तारीख के बाद टिकट न मिलने से नाराज नेता सामने आ गए हैं। उन्होंने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भाजपा के पांच बार सांसद और दो बार विधायक रहे कुर्मी वर्ग के नेता डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने एक साथ दो सीटों दमोह और पथरिया से नामांकन कर शिवराज सरकार के वित्तमंत्री जयंत मलैया के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। अब भाजपा नेतृत्व डैमेज कंट्रोल में लग गया है। यही हाल कांग्रेस का भी है। झाबुआ में कांग्रेस ने सांसद कांतिलाल भूरिया के बेटे ]िवक्रांत भूरिया को उम्मीदवार बनाया है। विधायक जवियर मेड़ा उनके रास्ते में आ गए हैं। भाजपा राजनीति में भले ही वंशवाद का विरोध करती है, लेकिन राजस्थान में कम से कम इससे नेता अछूते नहीं हैं। राजस्थान में दिसम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के कई नेता, मौजूदा विधायक और कुछ मंत्री भी अपने बेटे, पोतों और रिश्तेदारों को टिकट दिलाने की जुगाड़ में हैं। सत्ता विरोधी लहर के कारण अपने दादा-पिता के साथ सक्रिय दिखने वाले पार्टी के ज्यादातर नेता अपने पुत्र, पोते, बहु को इस बार टिकट दिलाने की कोशिश में बड़े नेताओं के चक्कर काट रहे हैं। हद तो तब हो गई जब मध्यप्रदेश में विधानसभा की टिकट न मिलने से नाराज एक कांग्रेस नेता ने शुक्रवार को ग्वालियर में जहर खा लिया। नेता की हालत गंभीर है और अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है। ग्वालियर में कांग्रेस के पूर्व जिला महामंत्री प्रेम सिंह कुशवाहा टिकट न मिलने से इतना आहत हुए कि उन्होंने चूहे मारने की दवा खा ली और यह काम उन्होंने स्वर्गीय माधव राव सिंधिया की प्रतिमा के पास किया।

-अनिल नरेन्द्र

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