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प्रश्न राफेल का नहीं, सौदे में भ्रष्टाचार का है

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:4 Jan 2019 6:39 PM GMT
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राफेल पर बुधवार को लोकसभा में चर्चा में कांग्रेस ने मोदी सरकार को दो मोर्चों पर घेरने की कोशिश की। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी फुल फॉर्म में नजर आए। उन्होंने एक तरफ मनोहर पर्रिकर के बहाने मोदी को घेरने के लिए एक ऑडियो टेप जारी किया, वहीं संसद में राफेल सौदे की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच की मांग करते हुए सवाल उठाए और आरोप लगाया कि सरकार राफेल की सच्चाई को सामने लाने से बच रही है। सरकार के रवैये से लग रहा है कि दाल में कुछ काला नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली है। जेपीसी जांच से ही इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो सकेगा। वित्तमंत्री ने सरकार की ओर से जवाब देते हुए राहुल के आरोपों को झूठा बताया और पूर्व यूपीए सरकार पर देश की सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि राफेल सौदे में गड़बड़ी नहीं है। ऐसे में जेपीसी की मांग नहीं मानी जा सकती। उन्होंने आगे कहा कि कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें सच्चाई नापसंद होती है। उन्हें सिर्प पैसे का गणित समझ आता है, देश की सुरक्षा नहीं। जेटली ने अपने जवाबी हमले में गांधी परिवार पर निशाना साधते हुए बोफोर्स, अगस्ता वेस्टलैंड और नेशनल हेराल्ड मामलों का भी जिक्र किया। राहुल ने कहा कि वित्तमंत्री अरुण जेटली ने संसद में विमान की कीमत बताई है। सरकार मामले को जितना दबाने की कोशिश कर रही है, सच्चाई सामने आ रही है। राफेल पर चर्चा के दौरान रक्षामंत्री या प्रधानमंत्री की बजाय वित्तमंत्री क्यों सरकार का बचाव कर रहे हैं? राहुल ने राफेल या किसी और लड़ाकू विमान पर बहस की भी चुनौती देते हुए कहा कि वे सिर्प 20 मिनट के समय के अंदर राफेल पर बहस के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को यह बताना चाहिए कि मनोहर पर्रिकर के पास कौन-सी फाइल है, जिसे लेकर वे पार्टी को ब्लैकमेल कर रहे हैं? दरअसल इस ऑडियो टेप पर कांग्रेस ने दावा किया था कि इसमें गोवा के मंत्री विश्वजीत राणे कह रहे हैं कि राफेल की फाइलें मनोहर पर्रिकर के बैडरूम में हैं। यह बात पर्रिकर ने बाकायदा एक कैबिनेट मीटिंग में कही थी। कांग्रेस ने कहा कि इसी तरह से बीमार होने के बावजूद पर्रिकर को गोवा के सीएम पद से नहीं हटाया जा रहा है। बाद में गोवा के मंत्री विश्वजीत राणे ने कहा कि टेप से छेड़छाड़ की गई है। मैंने कभी इस बारे में किसी से बात नहीं की। भाजपा अध्यक्ष चाहे तो जांच करवा लें। सीएम मनोहर पर्रिकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से विपक्ष के झूठ का पर्दाफाश होने के बाद कांग्रेस नेता तथ्यों को तोड़-मरोड़ने के लिए बेचैन हैं। संसद में बहस के दौरान राहुल ने ऑडियो टेप चलाने की इजाजत मांगी, जिसे स्पीकर ने ठुकरा दिया और सवाल किया कि क्या वह ऑडियो टेप की पुष्टि करने को तैयार हैं। जेटली ने भी चेताया तो राहुल पीछे हट गए। बहस के दौरान सरकार तक असहज हो गई जब सहयोगी शिवसेना ने कई तरह के सवाल खड़े कर दिए। शिवसेना सांसद अरविन्द सांवत ने आरोप लगाया कि वित्तमंत्री अरुण जेटली ने राहुल गांधी के आरोप के जवाब तो दिए पर अभी भी संदेह बना हुआ है। उन्होंने कहा कि जब विपक्ष जेपीसी की मांग कर रहा है तो जेपीसी बनाइए और दूध का दूध और पानी का पानी करिए। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि राफेल विमान को लेकर कोई आशंका नहीं है, सारा शक इसमें भ्रष्टाचार का है। उन्होंने बहस के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार में आने पर कांग्रेस जेपीसी बनाएगी और इसमें दो ही व्यक्तियों नरेंद्र मोदी और अनिल अंबानी पर आंच आएगी। राहुल ने उपहास के साथ कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंटरव्यू में कहा है कि राफेल को लेकर उन पर कोई आरोप नहीं है, मैं उन्हें याद दिलाना चाहता हूं कि सारे आरोप उन पर ही हैं। ईमानदार, बेदाग छवि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी पूंजी कही जाती है। राहुल इस पर ही सबसे बड़ी चोट करने पर लगे हुए हैं। ऐसे में जानकार आकलन में लगे हैं कि इससे कांग्रेस को चुनाव में कितना फायदा होगा? या ये दांव उलटा पड़ेगा? कोई भी नेता अपने विरोधियों की कमी पर वार करने से नहीं चूकता। वही राहुल भी कर रहे हैं। उनके निजी कारण भी पीएम पर कड़े वार की वजह है। राफेल सौदे में अनिल अंबानी और उनकी कंपनी के लिंक का पूरा इस्तेमाल करते हुए राहुल यह जताना चाह रहे हैं कि इस सौदे में भ्रष्टाचार की बू आ रही है और सच्चाई को दबाने की कोशिश की जा रही है। देश मोदी सरकार से कुछ प्रश्नों का जवाब जरूर चाहता है। क्या रक्षा मंत्रालय ने नए कांट्रेक्ट पर आपत्ति की थी? दाम 526 करोड़ रुपए से बढ़कर 1600 करोड़ रुपए करने का फैसला किसका था? राफेल में 70 साल से विमान बनाने वाली एचएएल को हटाकर कभी विमान नहीं बनाने वाली अनिल अंबानी की कंपनी को 30 हजार करोड़ रुपए का कांट्रेक्ट कैसे मिला? क्या यह प्रधानमंत्री की डसाल्ट कंपनी या फ्रांस की तत्काल मलॉर्ड सरकार को सीधा कहने पर दिया गया? इसमें मेक इन इंडिया क्यों नहीं रहा? क्या एचएएल को बाहर रखने के बारे में फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति ओलांद ने भारत की भूमिका की बात कही थी? इसके बारे में प्रधानमंत्री कह सकते हैं कि राहुल गांधी झूठ बोल रहे हैं पर क्या इससे देश शांत हो जाएगा? असल दांव पर है प्रधानमंत्री की ईमानदार, बेदाग छवि?

-अनिल नरेन्द्र

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