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खनन माफिया पर शिकंजा

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:6 Jan 2019 5:19 PM GMT

खनन माफिया पर शिकंजा

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उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार के कार्यकाल में अवैध खनन घोटालों में सीबीआई ने बड़ी कार्रवाई करते हुए आईएएस अधिकारी बी. चन्द्रकला, खनन ठेकेदारों एवं खनन विभाग के कर्मचारियों के 14 ठिकानों पर छापेमारी की है। सीबीआई ने चन्द्रकला, एमएलसी रमेश मिश्रा सहित 11 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

असल में अखिलेश सरकार के कार्यकाल में 2012 से 2016 के दौरान अंधाधुंध अवैध खनन की शिकायतें जब इलाहाबाद हाई कोर्ट में की गई थीं तब अवैध खनन के मामले की जांच के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने सात आरंभिक जांच रिपोर्ट दायर की थी इसके बाद कई धाराओं के तहत लोगों और लोकसेवकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थीं। खनन ठेकेदार सरकार से नजदीकी संबंधों की वजह से अपने मनचाहे डीएम की जिलों में नियुक्ति कराते थे और डीएम नियम-कानूनों को अंगूठा दिखाते हुए उन्हें खनन के पट्टे जारी कर देते थे। मजे की बात तो यह कि ठेकेदार सपा और बसपा दोनों के साथ जुड़े हैं। हमीरपुर के खनन ठेकेदार रमेश मिश्र समाजवादी पार्टी के नेता और एमएलसी हैं जबकि एक दूसरे खनन ठेकेदार संजय दीक्षित बसपा के नेता हैं। दोनों ही पार्टियों की सरकारों में इन दोनों पार्टियों से जुड़े ठेकेदारों के अवैध कारोबार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। यह नेता जिलों में अपने मनमाफिक डीएम से अपने कारोबार में सहयोग लेते थे। चन्द्रकला ने भी 13 अप्रैल 2012 से छह जून 2016 के मध्य अपने कार्यकाल के दौरान खनन विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों से मिलकर 50 से अधिक पट्टे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देशों को ठेंगा दिखाते हुए जारी किए थे।

उत्तर प्रदेश में जो आईएएस अधिकारी सपाई माफिया से मिलकर नहीं रहता था उसकी गति आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल जैसी होती थी। उल्लेखनीय है कि सपा के एक बालू माफिया नरेंद्र भाटी ने एक आईएएस अधिकारी नागपाल को तत्काल सीएम अखिलेश यादव से कहकर निलंबित कर दिया था। चन्द्रकला की स्थिति पूर्व आईएएस अधिकारी नीरा यादव जैसी ही है। नीरा यादव भी मुलायम सिंह यादव सरकार से जुड़े भूमाफिया और बिल्डरों से मिलकर नोएडा की जमीन घोटालों में शामिल थीं। बाद में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज हुआ और उन्हें सजा भी हुई। अपने कार्यकाल के दौरान हमीरपुर में चन्द्रकला ने समाजवादी पार्टी को आर्थिक सहयोग के लिए विक्रय-कर के वरिष्ठ अधिकारियों तक पर दबाव डाला था। सपा सरकार ने सारे जिलों के जिलाधिकारियों को निर्देश दे रखा था कि वह स्थानीय सपा पदाधिकारियों की मदद करें। इसीलिए चन्द्रकला विक्रय-कर अधिकारियों पर दबाव डालती थीं कि वह अपने निजी स्तर पर सपा की मदद करें। मतलब यह कि रिश्वतखोरी की खुली छूट देकर उसमें से कुछ हिस्सा सपा अधिकारियों को दें। जब अधिकारी इस स्तर तक सरकार को संतुष्ट रखने के लिए गिर जाते हैं तो उनकी दुर्गति इसी तरह होती है। चन्द्रकला की ठेकेदारों से सांठगांठ का सबूत उनकी सम्पत्ति में लगातार अथाह वृद्धि है। उन्होंने अपनी सम्पत्ति घोषित करने से भी मना कर दिया था जबकि राज्य के आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने राज्य सरकार के निर्देश पर अपनी सम्पत्ति घोषित कर दी थी।

हमीरपुर में जब 2012-13 में अवैध रूप से पट्टे जारी किए गए तो उस वक्त खनन विभाग मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास ही था। इसीलिए अखिलेश यादव से भी सीबीआई पूछताछ कर सकती है। चूंकि मंत्री के तौर पर गायत्री प्रजापति के खिलाफ तमाम शिकायतें सामने आई थीं। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद सीबीआई गायत्री प्रजापति के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी भी कर रही है। इस छापेमारी से प्रजापति पर शिकंजा कसना और आसान हो जाएगा। यदि गायत्री प्रजापति के खिलाफ कोई भी कार्रवाई हो सकती है तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी आरोपी बनाए जा सकते हैं। चुनाव के वक्त सीबीआई की इस कार्रवाई का राज्य की राजनीति पर बहुत असर पड़ने वाला है।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह ठेकेदार अधिकारियों के माध्यम से सरकारों का भ्रष्टाचार का ऐसा सिंडीकेट था जिसे देखकर हाई कोर्ट को लगा कि इसे खत्म करना जरूरी है। मार्च 2017 में नई सरकार बनने से पहले ही कोर्ट ने दो टूक शब्दों में खनन नीति पर रोक लगा दी थी। नई सरकार को एक स्पष्ट खनन नीति बनाने का निर्देश दिया था। इसलिए अब डीएम अपने जिले में खनन पट्टा देने के लिए स्वतंत्र नहीं रह गए हैं। खनन का पट्टा न मिलने से राज्य के सत्ता सम्पन्न ठेकेदारों का कारोबार पूरी तरह भले ही चौपट हो चुका है किन्तु अब राज्य में यही ठेकेदार राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। प्रदेश में राजनीति के जानकारों का मानना है कि सपा-बसपा के ठेकेदार अपनी-अपनी पार्टी में प्रभावशाली नेता भी हैं। दोनों पार्टियों का नेतृत्व इन ठेकेदार राजनेताओं के कारोबार चौपट होने से प्रभावित हुआ है और अब यह इनके प्रभाव से एक दूसरे के नजदीक भी आ गए हैं।

लब्बोलुआब यह है कि उत्तर प्रदेश के खनन माफिया, सरकार और अफसरों की सांठगांठ से होने वाले खनन क्षेत्र में अपराध की पोटली खुलने लगी है। भ्रष्टाचार की खान से अभी भी कुछ और लोगों के नाम आने वाले हैं।

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