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गरीब के लिए न्यूनतम आमदनी गारंटी योजना

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:31 Jan 2019 7:05 PM GMT

गरीब के लिए न्यूनतम आमदनी गारंटी योजना

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को लोकसभा चुनाव से पहले एक बड़ा राजनीतिक दांव चल दिया है कि अगर 2019 में कांग्रेस की सरकार बनी तो वह हर गरीब के खाते में एक निश्चित रकम जमा करेगी। राहुल ने कहा कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वह हर गरीब के लिए न्यूनतम आमदनी गारंटी योजना लागू करेगी। छत्तीसगढ़ में किसानों को धन्यवाद देने के लिए आयोजित किसान सम्मेलन में कांग्रेस अध्यक्ष ने घोषणा की कि हर गरीब के बैंक में न्यूनतम राशि जमा की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह देश में अपनी तरह की पहली योजना होगी जिसमें कोई सरकार गरीबों को न्यूनतम आमदनी की गारंटी देगी। कांग्रेस के लोगों का कहना है कि हर गरीब व्यक्ति के बैंक खाते में सीधे हर महीने 1500 से 1800 रुपए दिए जा सकते हैं। इस तरह पार्टी ने अपना चुनावी एजेंडा साफ कर दिया है। राहुल की घोषणा इन चर्चाओं के बीच आई है कि सरकार आगामी बजट में ऐसी योजना ला रही है। राहुल ने बताया कि यह योजना यूपीए सरकार के समय लागू मनरेगा और आरटीआई जैसी योजनाओं की तर्ज पर बनेगी। कांग्रेस रणनीतिकारों का कहना है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी चुनाव घोषणा पत्र में किए जाने वाले बड़े वादों का ऐलान करेंगे। इन सभी ऐलानों को पार्टी अपने घोषणा पत्र में शामिल करेगी। आपको बता दें कि कई देश अपने नागरिकों के लिए न्यूनतम आय सुनिश्चित करते हैं। अगर किसी नागरिक की आमदनी न्यूनतम आय से कम है तो सरकार विभिन्न तरीकों से इस अंतर को पाटती है। 1988 में फ्रांस उन देशों में था जिसने न्यूनतम आय की गारंटी योजना लागू की। उसने रेवेन्यू मिनिमम पेस्ट्रश नाम से बनाया नियम। 1982 में ही अमेरिका के अलास्का प्रांत में सभी नागरिकों को आंशिक न्यूनतम आय दी जा रही है। 2069 डॉलर प्रति वर्ष की राशि अलास्का के 6.5 लाख लोगों को गत वर्ष आवंटित की गई। कनाडा में 2017 में आंटोरिया प्रांत में लगभग 4000 लोगों पर प्रायोगिक तौर पर न्यूनतम आमदनी योजना लागू की गई। अन्य देशों में डेनमार्प, फिनलैंड, जर्मनी, आस्ट्रिया, आइसलैंड, लक्समेबर्ग जैसे देशों में दिव्यांगों, बुजुर्गों के लिए कई तरह के सामाजिक सुरक्षा कानून मौजूद हैं। लेकिन राहुल की घोषणा में बहुत सारी बातें ऐसी हैं जिनका स्पष्टीकरण अभी सामने नहीं आया है। उदाहरण के तौर पर गरीबों को मापने का पैमाना क्या होगा? कौन वे लोग होंगे जिन्हें यह आजीविका राशि उपलब्ध कराई जाएगी? यह सवाल भी अनुत्तरित है कि व्यक्ति की गरीबी तय करने के लिए वे वर्तमान मानकों को लागू करेंगे या अपना मानक तय करेंगे। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार प्रति गरीब को कितना पैसा उपलब्ध कराएगी? इस योजना को लागू करने के लिए इतना धन कहां से आएगा? जिन देशों में इस प्रकार की योजना चल रही है उनकी आबादी कम है और उसमें भी यह योजना कुछ लोगों तक सीमित है। भारत तो बहुत बड़ा देश है, बड़ी आबादी वाला देश है। करोड़ों में गरीबों को इस प्रकार पैसा देना, आखिर यह पैसा आएगा कहां से? पूर्व वित्तमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदम्बरम ने इसका उल्लेख किया है। उन्होंने कहा कि राहुल की घोषणा ऐतिहासिक है और यह गरीबों के जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगी। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में सार्वभौमिक न्यूनतम आय (यूबीआई) के सिद्धांत पर बड़े पैमाने पर चर्चा की गई है। अब समय आ गया है कि हमारे हालात और हमारी जरूरतों के मुताबिक इस सिद्धांत को अपनाया जाए और इसे गरीबों के लिए लागू किया जाए। हम कांग्रेस घोषणा पत्र में अपनी पूरी योजना बताएंगे। चिदम्बरम ने कहा कि वर्ष 2004 से 2014 के बीच 14 करोड़ लोगों को गरीबी की चुंगल से बाहर निकाला गया। भारत से गरीबी का सफाया करने के लिए हमें दृढ़ता से कोशिश करनी होगी। देश के संसाधनों पर पहला अधिकार भारत के गरीबों का है। राहुल गांधी के वादे को लागू करने के लिए कांग्रेस पार्टी संसाधन जुटाएगी। इस ऐलान के जरिये राहुल यूपीए-1 दोहराने की कोशिश कर रहे हैं, जब मनरेगा, सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार जैसे कार्यक्रम दिए गए। राहुल अपने भाषणों में इसका जिक्र भी कर रहे हैं। खैर, यह योजना तभी लागू करने की सोच सकते हैं जब 2019 के चुनाव में कांग्रेस सत्ता में आएगी। अभी तो इसे महज मोदी सरकार की प्रस्तावित योजना (संभावित) को प्री-एक्ट कर रहे हैं।

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