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विधायक की हत्या अंदरूनी साजिश की वजह से या फिर...?

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:12 Feb 2019 5:44 PM GMT
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पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में तृणमूल कांग्रेस के विधायक सत्यजीत बिस्वास की हत्या का मामला सियासी जंग में बदलता जा रहा है। टीएमसी विधायक की हत्या में भाजपा नेता मुकुल रॉय समेत चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने बताया कि दो को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि दो को हिरासत में लिया गया है। एक आरोपी के बांग्लादेश भागने की भी आशंका है, क्योंकि नदिया जिले की सीमा बांग्लादेश से सटी हुई है। हंसखाली पुलिस स्टेशन के इंचार्ज को सस्पैंड कर दिया गया है। कृष्णगंज के विधायक बिस्वास (41) की शनिवार शाम जिले के फूलवाड़ी इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। राज्य के जेल मंत्री उज्ज्वल विश्वास ने विधायक की हत्या के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि बिस्वास मातुआ समुदाय से आते थे जिसका बंगाल में अच्छा आधार है। इस समुदाय की लगभग 30 लाख आबादी को भाजपा अपनी तरफ खींचना चाहती है। उत्तर और दक्षिण 24 परगना की पांच लोकसभा सीटों पर भी इसका खासा असर है। टीएमसी विधायक की हत्या ऐसे समय हुई है जब लोकसभा चुनाव को लेकर राज्य में पहले से ही भाजपा और टीएमसी के बीच राजनीतिक तनाव बना हुआ है। भाजपा नेता मुकुल रॉय ने कहा कि एफआईआर में नाम जोड़ने का फैसला राजनीति से प्रेरित है। विधायक की हत्या की वजह टीएमसी की अंदरूनी लड़ाई हो सकती है। वहीं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष दिलीप घोष ने हत्या की सीबीआई जांच की मांग की है। वैसे सरेआम एक कार्यक्रम जिसमें प्रदेश की एक मंत्री भी उपस्थित हों, में सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक की हत्या हो जाना आतंकित करने वाला है। सरकारी पक्ष का विधायक सुरक्षित नहीं तो फिर दूसरे सुरक्षित होंगे, इसकी उम्मीद कहां से हो सकती है? फूलवाड़ी इलाके में सरस्वती पूजा पंडाल में कार्यक्रम चल रहा था, भारी संख्या में लोग उपस्थित थे। उसमें बाइक से दो नकाबपोश आकर सीधे विधायक को गोली मारकर भाग जाएं, सहसा विश्वास करना कठिन है। ऐसे कार्यक्रमों में आमतौर पर पुलिस सुरक्षा चौकसी भी होती है। यह भी विचित्र है कि हत्यारों ने हत्या में प्रयुक्त रिवॉल्वर भी कुछ दूरी पर फेंक दी। अपराधियों ने वारदात करने के बाद अपना कोई निशान नहीं छोड़ा। यहां उल्टी स्थिति है। पांच लोगों के खिलाफ प्राथमिकी में मुकुल रॉय का नाम तृणमूल के नेताओं के कहने पर लगता है डाला गया है। मुकुल रॉय का नाम डालने के बावजूद उनके विरुद्ध पुलिस कोई प्रमाण नहीं दे पाई है। जिस तरह किसी भी पक्ष को राजनीतिक हत्या अस्वीकार्य है, उसी तरह विरोधी पार्टी के नेता को बिना प्रमाण घसीटना भी। एक युवा विधायक की हत्या दर्शाती है कि पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था की वास्तविक स्थिति क्या है। आखिर क्यों पश्चिम बंगाल राजनीतिक हत्याओं का केंद्र बना हुआ है। क्या ममता अपने पुलिस कमिश्नर की सीबीआई से पूछताछ पर नाराज होने के कारण भाजपा से बदला लेने के लिए इस हत्या में मुकुल रॉय का नाम शामिल तो नहीं कर रहीं? तृणमूल कांग्रेस के विधायक सत्यजीत बिस्वास अंदरूनी राजनीतिक के शिकार हुए हैं या किसी और साजिश के इसका पता शायद ही चले?

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