सऊदी अरब ने दिया पाकिस्तान को तगड़ा झटका
-अनिल नरेन्द्र
कश्मीर मुद्दे पर ऑग्रेनाइजेश ऑफ इस्लामिक वंट्रीज (ओआईंसी) को दो फाड़ कर देने की धमकी देना पाकिस्तान को महंगा पड़ गया। सऊदी अरब ने पाकिस्तान को उधार में तेल देना बंद कर दिया है। पाकिस्तान अब गिड़गिड़ा रहा है, पर सऊदी अरब कोईं ध्यान ही नहीं दे रहा। दोनों पक्षों के बीच इस बाबत 3.2 अरब डॉलर के समझौते की मियाद दो महीने पहले ही समाप्त हो चुकी है। द एक्सप्रोस ट्रिब्यून में शुव््रावार को प्राकाशित रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब ने नवम्बर, 2018 में पाकिस्तान की बाहरी क्षेत्र की चिन्ता दूर करने के लिए 6.2 अरब डॉलर से 3.2 अरब डॉलर की कच्चे तेल की सुविधा इसी पैकेज का हिस्सा है। पाकिस्तान ने सऊदी अरब से इस व्यवस्था के विस्तार का आग्राह किया है, लेकिन अभी तक उसे इसका जवाब नहीं मिला है। आर्थिक बदहाली से जूझ रहे पाकिस्तान ने दिवालिया होने से बचने के लिए 2018 में सऊदी अरब डॉलर (करीब 46 हजार करोड़ रुपए) का कर्ज लिया था। कर्ज पैकेज के तहत पाकिस्तान को 3.2 अरब डॉलर (करीब 24 हजार करोड़ रुपए) का तेल उधार में देने का प्रावधान किया गया था। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक इस प्रावधान की मियाद दो महीने पहले ही खत्म हो चुकी है। इसका अब तक नवीनीकरण नहीं हुआ। हालांकि पाकिस्तान ने सऊदी अरब के लिए कर्ज में से एक अरब डॉलर (करीब साढ़े सात हजार करोड़ रुपए) की किस्त समय से चार महीने पहले ही चुका दी है। इसके लिए उसे चीन से उधार लेना पड़ा। वह बाकी कर्ज चुकाने के लिए भी चीन का मुंह ताक रहा है। दरअसल पिछले दिनों पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद वुरैशी ने एक टीवी कार्यंव््राम में सऊदी अरब को धमकी दे डाली थी।
शाह ने कहा था कि कश्मीर मुद्दे पर सऊदी अरब ने ऑग्रेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक वंट्रीज (ओआईंसी) के विदेश मंत्रियों की आपात बैठक नहीं बुलाईं तो पाकिस्तान खुद यह बैठक बुला सकता है। उन्होंने कहा कि अगर सऊदी अरब बैठक नहीं बुलाता है तो मैं प्राधानमंत्री इमरान खान से यह आग्राह करने के लिए विवश हो जाऊंगा कि वह खुद उन इस्लामिक देशों की बैठक बुलाएं, जो कश्मीर के मुद्दे पर हमारा साथ देने के लिए तैयार हैं। दुनिया में इस्लामिक देशों का सबसे बड़ा संगठन ओआईंसी पाकिस्तान के इस आग्राह को कईं बार ठुकरा चुका है। कश्मीर को हथियाने के लिए पाकिस्तानी सेना चार बार हमला कर चुकी है और चीन ने तीन दशक से भारत के खिलाफ छद्म युद्ध छेड़ रखा है। अगस्त, 2019 में भारत ने जम्मू-कशमीर का विशेष दर्जा खत्म कर इसे दो वेंद्र शासित प्रादेशों में बांट दिया था। इमरान सरकार तभी से इस मुद्दे पर 57 सदस्यीय ऑग्रेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक वंट्रीज (ओआईंसी) का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रही है। ओआईंसी का समर्थन न मिल पाने की एक बड़ी वजह पाकिस्तान और तुका के बीच बढ़ती निकटता है, जिससे सऊदी अरब चिढ़ा हुआ है। दरअसल तुका के राष्ट्रपति एर्देगान सऊदी अरब को हटाकर सुन्नी मुस्लिम देशों का रहनुमा बनने का सपना देख रहे हैं। सऊदी अरब को भला यह वैसे मंजूर हो सकता है?