भारत-पाक रिश्तों की हकीकत
पड़ोसी देश होने की वजह से एक दूसरे के दुख-सुख पर भावनात्मक अभिव्यक्ति स्वाभाविक है किन्तु जब पड़ोसी एक दूसरे के खिलाफ शत्रुता का स्थायी भाव रखते हों तो कोईं भी कोशिश सफल नहीं होती।
पिछले वुछ दिनों से पाकिस्तान के सेना प्रामुख और प्राधानमंत्री ने भारत से संबंधों के महत्व पर ज्यादा जोर दिया। प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कोरोनाग्रास्त प्राधानमंत्री इमरान खान दम्पति के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना कर दी। इसके बाद पाक सरकार ने चीनी और कपास भारत से आयात करने की इच्छा व्यक्त कर दी। फिर तो पाक सेना के कान खड़े हो गए।
उन्हें लगा कि उनकी सरकार की ये हिम्मत कि बिना सेना की इजाजत के उन्होंने भारत से व्यापार करने की बात सोच वैसे ली। पाक की विपक्षी पार्टियों ने भी शोर मचाना शुरू किया कि प्राधानमंत्री इमरान खान ने तो जनरल असेंबली में देश को आश्वासन दिया था कि जब तक भारत कश्मीर में दोबारा अनुच्छेद 370 और 35ए लागू नहीं करता तब तक उससे बात नहीं करेंगे फिर चीनी और कपास आयात की बात वैसे कर दी। मजे की बात तो यह है कि इन दिनों विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व फजलुर्रहमान जैसे मुल्ला कर रहे हैं। मुल्ला और मिलिट्री की दोस्ती तो हमेशा ही पाकिस्तान में रही है। बहरहाल पाकिस्तान सरकार ने भी कहा कि जब तक जम्मू-कश्मीर में पांच अगस्त से पहले वाली स्थिति में भारत वापस नहीं जाता, तब तक उससे कोईं भी व्यापार नहीं होगा।
दोनों देशों के बीच शत्रुता के संबंध हैं क्योंकि पाकिस्तान के अस्तित्व के लिए यह शत्रुता भाव अनिवार्यं है। पाकिस्तान एक सिक्योरिटी स्टेट है मतलब यह कि पाकिस्तान में सेना प्रातिष्ठान ही सर्वोच्च है और उसी को यह अधिकार है कि वह तय करे कि किससे व्यावसायिक संबंध रखने हैं अथवा किससे दूरी बनाकर रखना है। सिक्योरिटी स्टेट की विशेष प्रावृत्ति होती है कि वह अपना एक स्थायी शत्रु बनाकर रखता है ताकि उसकी प्रासंगिकता पर देश की जनता को कभी संदेह न हो। सेना प्रातिष्ठान अपने देश की जनता को अपने शत्रु राष्ट्र से डराता रहता है और यह साबित करने की कोशिश करता रहता है कि शत्रु राष्ट्र से उसकी स्वतंत्रता खतरे में पड़ सकती है। यदि चुनी हुईं सरकार कभी भी शत्रु राष्ट्र से बातचीत का माहौल बनाती है तो सेना के वरिष्ठ अधिकारी अपनी सरकार के संबंधित मंत्री को चेतावनी देते हैं। यदि सेना प्रातिष्ठान की इच्छा के विरुद्ध सरकार शत्रु राष्ट्र के विरुद्ध कोईं पैसला करती है तो या तो उस सरकार को गिरा दिया जाता है या फिर जनता को उसके विरुद्ध इतना उकसा दिया जाता है कि सरकार के विरुद्ध जनता में आव््राोश पैदा हो जाता है।
दुनिया में पाकिस्तान अकेला ऐसा मुल्क है जिसकी सेना के पास अपना मुल्क है। सेना के सामने पाक सरकार झुकती है। पाकिस्तान में सरकार जनता के प्राति उत्तरदायी नहीं है बल्कि वह सेना के प्राति उत्तरदायी है।
इसलिए पाकिस्तान की विदेश नीति में भारत के प्राति सामान्य संबंधों का कोईं अध्याय है ही नहीं। कुछ लोग इधर और उधर हैं जो यह मानते हैं कि यदि दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य हो जाएं तो दोनों देशों की मुश्किलें कम हो जाएंगी, ऐसे आदर्शवादी लोगों के लिए जरूरी है कि वे दोनों देशों के बीच संबंधों की हकीकत समझें।