बस कंडक्टर से सुपर स्टार बनने तक का रजनीकांत का सफर
-अनिल नरेन्द्र
फिल्मी दुनिया में अभिनेता रजनीकांत की सफलता की कहानी उनके एक्शन और अभिनय से कम रोमांचक नहीं है। सिल्वर क्रीन पर एक्शन हीरो के रूप में उभरे रजनीकांत कभी कुली और बस कंडक्टर का काम करने को मजबूर थे। हालांकि उनके टिकट काटने का स्टाइल अजूबा था। अपने इसी अलग अंदाज के कारण वह लोगों के बीच तेजी से लोकप्रिय होने लगे तो दोस्तों खासकर ड्राइवर दोस्त ने उन्हें फिल्मों में अभिनय करने के लिए प्रेरित किया। इस दौरान के बालाचंद्र के रूप में उन्हें एक योग्य गुरु मिल गया जिसके कारण रजनीकांत की मुश्किलें आसान हो गईं।
रजनीकांत ने 1975 में बालाचंद्र निर्देशित तमिल फिल्म हवा अपूर्व रंगांगल में सहायक अभिनेता के रूप में अभिनय की शुरुआत की। इस फिल्म में कमल हासन मुख्य भूमिका में थे। लेकिन उनकी पहली वास्तविक सफलता वर्ष 1976 में बालाचंद्र की एक और फिल्म मूंदरू मुदिचू से मिली। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और 1980 के आखिर तक दक्षिण भारत की सभी भाषाओं में काम कर चुके थे, तमिल फिल्मों में वह अपना नाम स्थापित कर चुके थे। सुपर स्टार रजनीकांत (असली नाम शिवाजी राव गायकवाड) को 2019 का दादा साहेब फाल्के सम्मान देने की घोषणा की गई है।
फाल्के पुरस्कार भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान है, जो सिनेमा के क्षेत्र में किए गए अप्रतिम योगदान के लिए दिया जाता है। 70 साल के रजनीकांत सिनेमा के समकालीन दिग्गजों में ऊंचा स्थान रखते हैं। सिनेमा क्षेत्र में उनका सफर 50 साल से भी पुराना है। वह तमिल व दक्षिण की अन्य भाषाओं में ही नहीं हिन्दी सिनेमा में भी खास स्थान रखते हैं। उन्हें पद्मभूषण और पद्मविभूषण सम्मान से नवाजा जा चुका है। हम रजनीकांत को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित करने का स्वागत करते हैं और उन्हें इसकी बधाई देते हैं। रजनीकांत ने बस कंडक्टर से लेकर फाल्के पुरस्कार का लंबा सफर तय किया है।