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भाजपा ने फिर गुमनाम नेता पर चला दांव

👤 Veer Arjun | Updated on:15 Sep 2021 5:00 AM GMT

भाजपा ने फिर गुमनाम नेता पर चला दांव

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-अनिल नरेन्द्र

गुजरात के नए मुख्यमंत्री पटेल समुदाय से हैं, इनकी जमीन करीब तीन महीने पहले तैयार हो गईं थी। जून में खोडलधाम यानि पाटीदार की वुलदेवी के मंदिर में पाटीदार के दोनों गुट लेउबा और वंडवा पटेल ने 2022 के चुनाव पर चर्चा की और तय किया कि अगला सीएम पाटीदार समाज से होना चाहिए। खोडलधाम ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेश पटेल के इस ऐलान ने गुजरात का राजनीतिक पारा चढ़ा दिया था। विजय रूपाणी के इस्तीपे के बाद नए सीएम के तौर पर भूपेंद्र पटेल की ताजपोशी को पाटीदार वोट से जोड़कर देखा जा रहा है। क्योंकि 2017 के चुनाव में पाटीदार आंदोलन के चलते भाजपा को काफी मुश्किल हुईं थी। गुजरात में पाटीदार मतदाताओं की तादाद 15 प्रातिशत है, पर वुल वोटरों की बात करें तो उसमें पाटीदार लगभग 20 प्रातिशत हैं। पाटीदार कभी एकजुट होकर वोट नहीं करते हैं और भाजपा उनकी पहली पसंद रही है पर रूपाणी के सीएम बनने के बाद पाटीदार भाजपा से दूर हुए हैं। विजय रूपाणी जैन समुदाय से हैं। ऐसे में वह जातीय समीकरण में फिट नहीं बैठ रहे थे। उन्हें हटाकर भूपेंद्र पटेल को सीएम बनाने से सत्ता के खिलाफ लोगों की नाराजगी भी कम होगी। भाजपा के लिए पाटीदार के बाद दूसरे नम्बर पर मौजूद ओबीसी और दलित वोटर अहम हैं। इसलिए भाजपा ने भूपेंद्र को जिम्मेदारी सौंपी है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने गुजरात में फिर गुमनाम नेता पर दांव चला है।

पीएम नरेंद्र मोदी के 2014 में वेंद्र की सत्ता में आने के बाद भाजपा ने ज्यादातर राज्यों में मुख्यमंत्री पद के लिए चल रहे नामों को नजरंदाज कर लो-प्रोफाइल व सुर्खियों से बाहर चल रहे व्यक्ति को चुना। इतना ही नहीं, पाटा नेतृत्व प्राभावशाली जातियों के नेता को न चुनकर अन्य को भी चुन चुका है। दरअसल गुजरात के सीएम पद के लिए वेंद्रीय मंत्रियों पुरुषोत्तम रूपाला, मनसुख मंडाविया, उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल, सौरभ पटेल, गोवर्धन झाड़पिया और प्रापुल्ल पटेल के नाम चर्चा में थे। भूपेंद्र पटेल का नाम कोईं भी नहीं ले रहा था पर आखिर में उनके नाम पर ही मुहर लगी। इसी तरह की कयासबाजी उत्तराखंड और कर्नाटक में मुख्यमंत्रियों के नामों पर भी लग रही थी लेकिन सीएम उस नेता को बनाया गया जिसका नाम कोईं नहीं ले रहा था। हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर और झारखंड में रघुवर दास को चुनकर पाटा ने सबको चौंकाया। यूपी चुनाव में भी योगी आदित्यनाथ का चुना जाना आार्यंजनक था। त्रिपुरा में विल्प वुमार देव और महाराष्ट्र में देवेंद्र फड़नवीस को सीएम बनाने में भी लोगों को खटका था।

पाटीदार समुदाय को खुश करने के लिए प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूपेंद्र पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री बनवा दिया। उनकी पसंद नितिन पटेल और प्रापुल्ल पटेल में से एक थी, लेकिन आनंदीबेन पटेल को वह नजरंदाज नहीं कर पाए। वक्त ही बताएगा कि एकदम नए चेहरे के साथ चुनाव में जाने की यह कार्यंनीति कितनी कामयाब होगी? खासतौर पर कोरोना महामारी के दौरान राज्य सरकार की विफलताओं की पीड़ा की स्मृतियों को क्या इस पैंतरे से पोंछा जा सकता है? अलबत्ता आपकी जनसेवा संवेदना यात्रा में सरकार के खिलाफ जैसी लहर महसूस की गईं, उसके मद्देनजर सिर्प चेहरा बदलने से भाजपा को चुनाव में कितना लाभ मिलेगा यह तो वक्त ही बताएगा।

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