मामला नोट के बदले वोट का
-अनिल नरेन्द्र
दिल्ली हाईं कोर्ट ने बुधवार को निर्वाचन आयोग से सवाल किया कि क्यों वह उन राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ कार्रवाईं से बच रहा है जो भ्रष्ट आचरण संबंधी उसके दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हैं? अदालत ने इसके साथ ही चुनाव घोषणा में नकद हस्तांतरण के वादे को भ्रष्ट चुनावी आचरण घोषित करने के लिए दायर जनहित याचिका पर आयोग से जवाब तलब किया।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिह की पीठ ने कहा—क्यों आप कार्रवाईं करने से बच रहे हैं? आप कार्रवाईं करना शुरू करें। केवल नोटिस और पत्र जारी नहीं करें। देखते हैं कि आप क्या कार्रवाईं करते हैं। आप सजा के तरीके भी प्रास्तावित कर सकते हैं। अदालत ने यह टिप्पणी निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वकील द्वारा यह कहने के बाद की कि उसने पहले ही भ्रष्ट वृत्यों को लेकर दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं और उन्हें राजनीतिक दलों को भेजा है।
पीठ ने कहा कि निर्वाचन आयोग को अपने दिशानिर्देशों के सन्दर्भ में कार्रवाईं शुरू करनी चाहिए। हाईं कोर्ट ने इस याचिका पर वेंद्र को भी जवाब देने का निर्देश दिया जिसमें कहा गया है कि नोट के बदले वोट जनप्रातिनिधि कानून की धारा-123 का उल्लंघन है। यह धारा भ्रष्ट आचरण और रिश्वत से संबंधित है। पीठ ने दो राजनीतिक पार्टियों—कांग्रोस और तेलुगूदेशम पाटा से भी उनका रुख पूछा है क्योंकि याचिका में कहा गया है कि तेदेपा और कांग्रोस ने वर्ष 2019 के आम चुनाव में समाज के वुछ वर्गो को नकदी देने की पेशकश की थी।