Home » संपादकीय » तालिबान को पाल रहा पाक, रिश्तों पर दोबारा सोचेंगे

तालिबान को पाल रहा पाक, रिश्तों पर दोबारा सोचेंगे

👤 Veer Arjun | Updated on:18 Sep 2021 5:00 AM GMT

तालिबान को पाल रहा पाक, रिश्तों पर दोबारा सोचेंगे

Share Post

-अनिल नरेन्द्र

अफगानिस्तान में तालिबान सरकार का गठन हो चुका है। इन दिनों जितनी चर्चा तालिबान की हो रही है, उतनी ही चर्चा पाकिस्तान के बारे में है। तालिबान के आने के बाद खुशियां मना रहे पाकिस्तान को अमेरिका ने चेतावनी दी है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि पाकिस्तान से उसके रिश्ते इस बात पर निर्भर करेंगे कि तालिबान के साथ उसके संबंध वैसे होने वाले हैं। आने वाले दिनों में अमेरिका पाकिस्तान के साथ रिश्ते को लेकर समीक्षा करेगा। ब्लिंकन ने अमेरिकी सांसदों से कहा कि अमेरिका यह देखेगा कि बीते 20 वर्षो में पाकिस्तान की भूमिका क्या रही है। दरअसल सांसदों ने 9/11 हमले के बाद अफगानिस्तान में पाकिस्तान की दोहरी नीति वाली भूमिका पर नाराजगी जताईं और मांग की कि वाशिंगटन इस्लामाबाद से रिश्तों पर पुन: विचार करे।

अमेरिकी सांसदों ने बाइडन प्राशासन से अनुरोध किया कि वह पाकिस्तान के मुख्य गैर-नाटो सहयोगी के दज्रे के बारे में फिर सोचें, विचार करें। ब्लिंकन का यह कहना महत्वपूर्ण तो है कि अमेरिका इसकी परख करेगा कि पाकिस्तान ने बीते दो दशक में वैसी भूमिका निभाईं है, लेकिन हम इसकी अनदेखी भी नहीं कर सकते कि अमेरिकी प्राशासन की ओर से ऐसी बातें पहले भी कही गईं हैं और सब जानते हैं कि उनका कहीं कोईं नतीजा नहीं निकला पर अब की स्थिति में और पहले की स्थिति में फर्व पड़ गया है। पिछले 20 साल से अमेरिका अफगानिस्तान में तालिबान से युद्ध लड़ रहा था और उसे इस युद्ध में पाकिस्तान की जरूरत थी। इस वजह से वह दोहरी नीति अपनाए हुए था पर अब जब अमेरिका अफगानिस्तान से निकल आया है तो पाकिस्तान की भूमिका कम हो जाएगी। हां अगर तालिबान पाकिस्तान के साथ पूरी तरह हो गया तो भारत समेत अमेरिका भी निशाने पर आ सकता है।

यह किसी से छिपा नहीं है कि पाकिस्तान आतंक की पैक्टरी है, जहां तमाम जेहादी न केवल शरण पाते हैं बल्कि ट्रेनिंग इत्यादि भी करते हैं। 9/11 में पाकिस्तान की कितनी बड़ी भूमिका थी यह सब जानते हैं। 2001 में अफगानिस्तान पर अमेरिकी हमले के बाद ओसामा बिन लादेन समेत सारे तालिबानी सरगना पाकिस्तान में जा छिपे, लेकिन अमेरिकी प्राशासन अनजान बना रहा। अमेरिका ने पाकिस्तान की आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली नीतियों को जो अनदेखा किया, उसके कारण ही उसे अफगानिस्तान में मुंह की खानी पड़ी। यदि अफगानिस्तान में तालिबान की अंतरिम सरकार बनाईं है तो उसमें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईंएसआईं की बड़ी भूमिका थी। आईंएसआईं प्रामुख खुद काबुल में सरकार बनवाने के लिए मौजूद थे। पंजशीर घाटी पर तालिबान का कब्जा कराने के लिए पाक एयरफोर्स ने बाकायदा बमबारी की और नॉर्दर्न एलायंस के लड़ाकों को मारा। यह विचित्र है कि अमेरिका तालिबान और हक्कानी नेटवर्व के आतंकियों को अलग-अलग करके देख रहा है जबकि वह एक ही हैं और इन सबकी पीठ पर पाकिस्तान का हाथ है।

अब तक अमेरिका की कथनी और करनी में फर्व रहा है पर हम उम्मीद करते हैं कि अब अमेरिका सख्ती से पाकिस्तान से निबटेगा। इसमें उसे ही फायदा होगा। अमेरिका को यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत के साथ-साथ अमेरिका भी तालिबान और जेहादियों के निशाने पर है।

Share it
Top