ड्रग तस्करी और डार्वनेट
-अनिल नरेन्द्र
अवैध ड्रग कारोबार के मामलों में डार्वनेट का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है। सुरक्षा एजेंसियों का पकड़ से बचने के लिए ज्यादातर मामलों में तस्करी के लिए इसका इस्तेमाल हो रहा है। एजेसियां माफिया गुटों की रणनीति को ध्यान में रखते हुए इस तरह के सॉफ्टवेयर और तकनीकी विशेषज्ञता पर जोर दे रही हैं, जिससे इस व्यूह को भेदने में सफलता मिले।
भारत, अमेरिका, सिंगापुर सहित विभिन्न देशों के डार्वनेट के जरिए अवैध ड्रग कारोबार का चलन बढ़ रहा है। गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ड्रग तस्कर डार्वनेट के जरिए व्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करके अपना अवैध कारोबार कर रहे हैं। सरकार व्रिप्टोकरेंसी के लिए प्रस्तावित नए प्रावधानांे में भी इस चिंता को ध्यान में रख रही है। सुरक्षा एजेंसियां प्रशिक्षण पर भी ध्यान दे रही हैं, जिससे इस टूल को समझकर ऐसे अपराधों पर नकेल कसने की रणनीति एवं एनसीबी सहित अन्य एजेंसियां बना सवें।
अवैध ड्रग नेटवर्व से जुड़े अपराधी ऐसे साफ्टवेयर का इस्तेमाल इंटरनेट के तहत करते हैं जिसे पकड़ना तीसरे पक्ष के लिए आसान नहीं होता। नएनए साफ्टवेयर के जरिए एजेंसियों की पकड़ से बचने की कोशिश की जाती है। सूत्रांे ने कहा कि आतंकी गुट भी इन तरीकों के जरिए सुरक्षबलों के सामने चुनौती पेश करते हैं। लिहाजा ड्रग कारोबार और आतंक के नेटवर्व पर नकेल कसने के लिए आतंकरोधी एजेंसियां भी इस तरह के मामलों की गहन छानबीन करके ठोस रणनीति बनाने में जुटी हैं। केन्द्र सरकार ने नारकोटिक्स वंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के अधिकार क्षेत्र को मजबूत करने वाला कदम उठाते हुए सभी राज्यों को दिए एक निर्देश में नशीले पदार्थो से जुड़े चार-पांच प्रमुख मामले एनसीबी को सौंपने के लिए कहा है। गुरुवार को जारी निर्देश में 5 दिसम्बर तक ऐसा करने को कहा गया। सूत्रों के अनुसार केन्द्र ने सभी मुख्य सचिवों और सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशकों को पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि वे नशीले पदार्थो से जुड़े प्रमुख मामलों को एजेंसी के साथ साझा करें। अडानी मुद्रा बंदरगाह से लगभग 3000 किलोग्राम हेरोइन और मुंबईं व्रूज ड्रग मामले का भंडाफोड़ होने के बाद यह कदम उठाया गया है।