Home » संपादकीय » विभिन्न पर्सनल लॉ राष्ट्र की एकता का अपमान

विभिन्न पर्सनल लॉ राष्ट्र की एकता का अपमान

👤 Veer Arjun | Updated on:12 Jan 2022 4:30 AM GMT

विभिन्न पर्सनल लॉ राष्ट्र की एकता का अपमान

Share Post

—अनिल नरेन्द्र

केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईं कोर्ट से कहा है कि विभिन्न धर्मो और संप्रादायों से संबंधित नागरिकों का सम्पत्ति और विवाह संबंधी अलग- अलग कानूनों का पालन करना देश की एकता का अपमान है और समान नागरिक संहिता (यूनिवर्सल सिविल कोड) से भारत का एकीकरण होगा।

समान नागरिक संहिता लागू किए जाने का अनुरोध करने वाली एक याचिका के जवाब में वेंद्र ने कहा कि वह विधि आयोग की रिपोर्ट मिलने के बाद संहिता बनाने के मामले पर हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करके इसकी पड़ताल करेगी। सरकार ने कहा कि यह मामला महत्वपूर्ण और संवदेनशील है तथा इसके लिए देश के विभिन्न समुदायों के पर्सनल लॉ का गहन अध्ययन करने की आवश्यकता है। वेंद्र ने अपने वकील अजय दिग्पाल के जरिये दाखिल हलफनामे में कहा—नागरिकों के लिए यूसीसी पर संविधान अनुच्छेद 44 धर्म को सामाजिक संबंधों और पर्सनल लॉ से अलग करता है। अलग-अलग धर्मो और संप्रादायों से संबंध रखने वाले नागरिक सम्पत्ति और विवाह संबंधी विभिन्न कानूनों का पालन करते हैं, जो राष्ट्र की एकता का अपमान है। उसने जानकारी दी कि यूसीसी से संबंधित विभिन्न मामलों की समीक्षा करने और उसके बाद सिफारिश करने के उसके अनुरोध के आधार पर 21वें विधि आयोग ने व्यापक विचार-विमर्श के लिए अपनी वेबसाइट पर हर परिवार कानून में सुधार पर एक परामर्श पत्र अपलोड किया था। हलफनामे में कहा गया—इस मामले पर विधि आयोग की रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार मामले में शामिल विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद आगे पैसला करेगी। इस मामले की महत्ता और संवेदनशीलता के मद्देनजर वेंद्र ने समान नागरिक संहिता संबंधी विभिन्न मामलों की समीक्षा करने और फिर सिफारिश करने का भारत विधि आयोग से अनुरोध किया था। अदालत ने मईं 2019 में भारतीय जनता पाटा के नेता और वकील अश्विनी वुमार उपाध्याय की याचिका पर वेंद्र की प्रतिक्र‍िया मांगी है।

Share it
Top