पाकिस्तान की भारत विरोधी नीति
पाकिस्तान में इन दिनों बड़ी रोचक चर्चा है कि भारत अफगानिस्तान को मानवीय आधार पर दवाईं और चिकित्सा उपकरण भेजने के लिए पाकिस्तानी सड़क मार्ग की सुविधा चाहता था किन्तु इस्लामाबाद ने मना कर दिया। भारत ने सहायता सामग्री भेजने के लिए ईंरान से सहयोग मांगा और मिल भी गया। अफगानिस्तान को सहायता सामग्री मिली तो उसने भारत को धन्यवाद दिया।
पाकिस्तान के पत्रकार मानते हैं कि भारत के प्राति पाक आमा के इक्सट्रीम पोजीशन की वजह से ही पाकिस्तान की किरकिरी हुईं है। यदि पाकिस्तान भारतीय ट्रकों को अपना सड़क मार्ग इस्तेमाल करने देता तो इससे अफगानिस्तान और विश्व में अच्छा संदेश जाता। किन्तु सरकार और सेना दूसरा ही तर्व दे रही हैं। उनका कहना है कि यदि भारतीय ट्रकों को अपनी सड़कों से जाने की अनुमति देते और उनके ट्रकों या ड्राइवरों को पाकिस्तान में भारत विरोधी तत्व कोईं क्षति पहुंचा देते तो स्थिति अत्यंत खराब हो जाती। भारत एयर स्ट्राइक कर देता या बदला लेने के लिए कोईं भी तरीका अपनाता।
दरअसल पाकिस्तान ने भारत से कहा था वह अपने ट्रक वाघा बार्डर तक भेजे इसके बाद पाकिस्तान के ट्रक उसकी सामग्री को अफगानिस्तान सीमा तक छोड़ देंगे। किन्तु भारत को ट्रकों पर होने वाले खर्च का भुगतान भी करना होगा।
पाकिस्तान के राजनयिक और पत्रकार इस बात को बड़ी गंभीरता से स्वीकार करते हैं कि उनकी सेना व सरकार की विदेश नीति भारत विरोधी खूंटे में इस तरह जकड़ी है कि वह उससे आगे न देख पाते और न ही सोच पाते हैं। असल में भारत को भी यह दिखाना था कि पाकिस्तान हर मंच से अफगानिस्तान को मदद की गुहार तो लगाता है किन्तु जब भारत मदद करना चाहता है तो वह उसके प्रायासों को बाधित करने का प्रायास करता है।
सच तो यह है कि पाकिस्तान सरकार और सेना अपने देश की बर्बादी और फजीहत के लिए भारत को जिम्मेदार मानती हैं जबकि वहां की ज्यादातर मीडिया देश की इस दुर्दशा के लिए अपनी सेना और सरकार को ही जिम्मेदार मानती है। भारत, अमेरिका और अफगानिस्तान के प्राति विदेश नीति का निर्धारण पाकिस्तान का सेना प्रातिष्ठान ही करता है, इसलिए सरकार को विवश होकर उसकी हां में हां मिलानी पड़ती है किन्तु वहां की मीडिया जिस तरह अपने विचार व्यक्त करती है, उससे एक बात तो स्पष्ट है कि वह भारत के प्राति सेना के अतिवाद से संतुष्ट नहीं है।