केजरीवाल की गारंटी
शराब घोटाले के आरोपी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव में ‘केजरीवाल की गारंटी’ की घोषणा की है। इस गारंटी की गारंटी पर ही सवालिया निशान लगना स्वाभाविक है क्योंकि जो पार्टी दो दर्जन सीटों पर भी चुनाव नही लड़ रही है, उसकी गारंटी का इस चुनाव पर असर क्या पड़ेगा। गंभीरता से दिल्ली और पंजाब की वुल 17 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली पार्टी विपक्षी गठबंधन इंडिया यानि इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस को क्या अपने गारंटी को स्वीकार करने के लिए सहमत कर पाएगी? दरअसल इंडिया गठबंधन में आम आदमी पार्टी के अलावा कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके सहित कईं अन्य पाटियां शामिल हैं। इनमे से एक साथ सीटों का समुचित बंटवारा भी नहीं हुआ है। कितु केजरीवाल ने चुनाव को रोचक बनाने के लिए गारंटी की घोषणा कर दी। इनमें से वुछ गारंटी तो ऐसी हैं जिसे गठबंधन की दूसरी पार्टियां मानती ही नहीं।
इन गारंटियों में दो गारंटी ऐसी हैं जिन पर उनके साथी कितना सहमत होंगे इसकी भी कोईं गारंटी नही है। पहली पाक अधिवृत कश्मीर को भारत में मिलाने की। अब इसी गारंटी को ले लीजिए। कांग्रेस, नेशनल कांप्रेंस, पीडीपी, समाजवादी पार्टी तो इस गारंटी से कभी सहमत ही नहीं हो सकती। पीओके के अलावा एक गारंटी और भी केजरीवाल ने दी है, वह है चीन द्वारा भारत के जमीन पर किए गए कब्जे को मुक्त कराना।
इस तरह की गारंटी चुनाव में ही दी जा सकती है, कितु वास्तविकता यह है कि जो जमीन चीन ने भारत से छीनी है उसे कांग्रेस ने पहले ही ऐसी जमीन मान रखा है जहां पर घास भी नहीं उगती। यानि कांग्रेस सरकार के लिए अनुपयोगी है। शेख चिल्ली जैसी बातों पर इंडिया गठबंधन के साथी पार्टियों को भरोसा होगा या नहीं यह तो उन्हें ही पता होगा कितु वास्तविकता तो यह है कि उन्होंने वुछ गारंटी पहले भी दी थी। वे गारंटी थीं कि वह सत्ता में आने के बाद वह किसी भी सरकारी सुविधा का उपभोग नहीं करेंगे। एक गारंटी और थी कि वह अपने बच्चों की शपथ खाकर वचन देते हैं कि कांग्रेस और भाजपा से कभी भी गठबंधन नहीं करेंगे। इसके अलावा वुछ गारंटी और भी थीं उनमें सबसे प्रमुख गारंटी थी कि उनकी पार्टी में लोकपाल होगा वह किसी भी पार्टी के नेता के भ्रष्टाचार पर कार्रवाईं करेगा। पता चला सत्ता में आते ही पूर्व नेवी प्रमुख रामदास जिन्हें उन्होंने पार्टी का लोकपाल बनाया था, उसे ही चलता कर दिया। इन सभी गारंटियों की बात करें, तो सत्ता में आने से पहले केजरीवाल पर मतदाताओं ने भरोसा किया था। बाद में वह सभी गारंटियां फर्जी निकलीं।
अब बात करते हैं कि पीओके पर केजरीवाल की गारंटी और वहां की वास्तविक स्थिति पर। केन्द्र की मौजूदा सरकार पीओके पर काम कर रही और उसका अधिवृत बयान है कि पीओके के लोग खुद ही भारत में मिल जाएंगे। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की इतनी ही बात पर देश को भरोसा है। किसी ने रक्षामंत्री से कभी सबूत नहीं मांगा। रही बात चीन द्वारा कब्जा की गईं जमीन पर वापस लेने की तो शायद ही कोईं केजरीवाल की गारंटी पर भरोसा करे क्योंकि 1962 से लेकर आज तक युद्ध का पूरा स्वरूप ही बदल चुका है। वहां पर न तो चीन युद्ध करने की स्थिति में है और न ही भारत युद्ध करने जाएगा। इसलिए उस क्षेत्र की नीयत ही यथा स्थिति बन चुकी है। जहां तक गारंटियों की बात है तो विपक्ष में कांग्रेस द्वारा की गईं गारंटियों को लोग गंभीरता से लेते हैं भले वह किसी को अच्छी लगे या बुरी। इसी तरह डीएमके और समाजवादी पार्टी भी हैं। किंतु दुर्भाग्य से आप यानि केजरीवाल की गारंटियों पर भरोसे की गारंटी कोईं नहीं दे सकता।