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पटाखा व्यापारियों की सुप्रीम कोर्ट से गुहार

👤 Veer Arjun Desk 6 | Updated on:10 Oct 2017 6:55 PM GMT
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दीपावली के मौके पर पटाखों के कारण होने वाले प्रदूषण को देखते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एक नवम्बर तक के लिए दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा है कि कुछ शर्तों के साथ पटाखों की बिक्री एक नवम्बर 2017 यानि दीपावली गुजरने के बाद फिर से की जा सकेगी। अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो इस प्रतिबंध के साथ यह देखना चाहता है कि क्या दीपावली से पहले पटाखों की बिक्री पर बैन से प्रदूषण में कमी आती है या नहीं। लेकिन पटाखे जलाने पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है। जिन लोगों ने पहले से पटाखों की खरीददारी कर ली है वो इसे जला सकते हैं। पटाखों की बिक्री पर बैन की याचिका तीन बच्चों की ओर से दायर की गई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इन बच्चों के फेफड़े दिल्ली में प्रदूषण के कारण ठीक से विकसित नहीं हो पाए हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि दिल्ली में प्रदूषण का मसला कई सालों से उठ रहा है। काफी कोशिशों के बाद भी इसमें कमी नहीं आई है। मौजूदा आंकड़ों को देखें तो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक दिल्ली में हवा अभी भी सांस लेने लायक नहीं है। दूसरी ओर पटाखा ब्रिकेताओं के लिए इस ऑर्डर से असमंजस की स्थिति बन गई है। अपने पहले फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर लगी रोक कुछ शर्तों के साथ वापस ले ली थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले आदेश में कहा था कि दिल्ली में पटाखों की बिक्री के लिए पुलिस की निगरानी में लाइसेंस दिए जाएं। ज्यादा से ज्यादा 500 अस्थायी लाइसेंस ही दिए जा सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 2016 में दिए गए लाइसेंस में से 50 प्रतिशत को ही इस बार लाइसेंस दिए जाएंगे। लेकिन दीपावली से 10 दिन पहले कोर्ट का यह फैसला उन तमाम पटाखा बिक्रेताओं के लिए परेशानी लेकर आया है। पटाखा बिक्रेता सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से काफी निराश हैं और उनका कहना है कि इस फैसले से उनको काफी नुकसान होगा। एक पटाखा बेचने वाले दुकानदार का कहना है कि पटाखों का व्यापार करने वाले 10 महीने से खाली बैठे थे। सितम्बर में सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ लाइसेंस रिन्यू करने की इजाजत दी। इसके बाद हमने लाइसेंस रिन्यू कराया। दीपावली पटाखों का त्यौहार है और इस लाइन से जुड़ा हर व्यापारी साल में सिर्फ इसी सीजन में अच्छी कमाई की उम्मीद रखता है। ऐसे में दीपावली के ठीक पहले लगाए गए इस बैन से इस व्यापार से जुड़े लोगों को मुश्किल दौर से गुजरना पड़ेगा। पटाखा व्यापार से लगभग दिल्ली-एनसीआर में 10 लाख लोग जुड़े हुए हैं। ऐसे में सभी के सामने धंधा बंद होने की नौबत आ गई है। दीपावली पर वर्षों से पटाखे चलते आए हैं। पिछले कुछ सालों से लोग खुद पटाखों का कम इस्तेमाल करने लगे हैं। यह ठीक है कि पटाखों से प्रदूषण बढ़ता है पर पटाखे तो साल में एक दिन ही जलाए जाते हैं और इनको जलाने के पीछे धार्मिक आस्था है। दूसरी ओर पूरे साल वाहन सड़कों पर चलते हैं। वाहनों का प्रदूषण ज्यादा होता है। हम सभी पटाखों का मजा लेते हैं। फिर जिन व्यापारियों ने महीनों पहले ऑर्डर देकर अपने पटाखों की खरीददारी इसी उम्मीद से कर ली कि दीपावली में निकल जाएंगे उनका क्या होगा? पटाखों पर बैन लगने से व्यापारियों पर दोहरी मार पड़ी है। 12 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे बेचने की अनुमति दी जिसके बाद व्यापारियों ने माल खरीद लिया और ऑर्डर भी दे दिए। 29 दिन का वक्त रहा, जिसमें व्यापारियों ने दीपावली के चलते माल स्टॉक करने में जुट गए। इस दौरान कुछ ने लड़कों को काम पर रखा, कुछ ने दुकान किराये पर ली। तरह-तरह के इंतजाम किए जिस पर काफी पैसा खर्च हुआ। फिर से बिक्री पर बैन लगने से पटाखे व्यापारियों को तो रोटी के लाले पड़ जाएंगे। इसलिए सभी पटाखा व्यापारी सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश कर रहे हैं कि उन्हें केवल दीपावली के त्यौहार तक पटाखा बिक्री की मौहलत दी जाए जिससे जो माल खरीदा है वह बेच सकें।

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